By अनन्या मिश्रा | Apr 12, 2023
सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित माना गया है। शास्त्रों के मुताबित शनिवार को दिन कर्म फल दाता शनिदेव को समर्पित होता है। यानि की शनिवार को शनि देव की पूजा-अर्चना करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। न्याय के देवता शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर न्याय और दंड देते हैं। बताया जाता है कि यदि शनि देव किसी व्यक्ति से रुष्ट हो जाएं तो फिर उसका सर्वनाश हो जाता है।
यही कारण है कि हर कोई शनि देव के क्रोध का कारण नहीं बनना चाहता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए शनि देव को प्रसन्न करने के 6 आसान से उपाय बताने जा रहे हैं। जिनको यदि आप शनिवार को करते हैं तो आप पर शनि की साढ़े साती से लेकर शनि की ढैय्या तक का असर कम हो जाएगा। आइए जानते हैं शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय के बारे में...
काली गाय की सेवा
जिस भी जातक की कुंडली पर शनि का साया भारी हो, उस व्यक्ति को इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करनी चाहिए। शनिवार के दिन घर में बनी पहली रोटी गाय को खिलानी चाहिए। इसके अलावा काली गाय को सिंदूर का तिलक करना चाहिए। फिर गाय के सींग में मौली का धागा बांधकर उसे मोतीचूर का लड्डू खिलाएं। ऐसा करने से आप पर शनि देव की कृपा बनी रहेगी।
गले में काला धागा पहनें
अगर आप भी शनि देव के क्रोध से बचना चाहते हैं और उन्हें प्रसन्न करना चाहते हैं तो शनिवार के दिन अपने हाथ के नाप का 29 इंच लंबा काला धागा लें लें। इस धागे की माला बना कर गले में धागा पहन लें।
सूर्योदय से पहले करें ऐसा काम
अगर आप भी शनि देव की कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं तो सूर्योदय से पहले हर शनिवार को वट या बरगद और पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके अलावा शुद्ध कच्चा दूध और धूप अर्पित करें।
शनि की ढैया से राहत
अगर आप भी शनि की ढैया से पीड़ित हैं तो इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए शुक्रवार की रात करीब 800 ग्राम काले तिल पानी में भिगो दें। शनिवार को इन तिलों को पीस कर इसका पेस्ट बना लें। फिर इसमें गुड़ मिलाकर 8 लड्डू बना लें और शनिवार को इन लड्डुओं को किसी काले घोड़े को खिला लें। यदि आप लगातार 8 शनिवार तक यह उपाय करते हैं तो आप पर भी शनि की ढैया का असर कम होगा।
पीपल के पेड़ की सेवा
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चलती है तो उस व्यक्ति को शनिवार को अंधेरा होने के बाद पीपल के पेड़ के पास जाएं। पीपल के पेड़ की जड़ों में मीठा जल अर्पित करें। इसके बाद सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती आदि जलाएं। फिर वहीं पर बैठकर भगवान हनुमान, शनि चालीसा और भैरव चालीसा का पाठ करें। पाठ के पूरा होने के बाद पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करनी चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप
अगर कोई व्यक्ति किसी लाइलाज बीमारी से जूझ रहा हो तो ऐसे व्यक्ति को प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा शनिवार के दिन एक कटोरी में सरसों का तेल भरकर इसमें तांबे का सिक्का डालें। फिर इस कटोरी को घर के किसी अंधेरे हिस्से में रख दें। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से शनिदेव का क्रोध शांत होता है और जातक को शनि के दुष्प्रभावों से भी राहत मिलती है।