सात समंदर पार भी गूंजते हैं बमभोले के जयकारे

By डॉ. प्रभात कुमार सिंघल | Feb 20, 2020

धार्मिक एवं आध्यत्मिक दृष्टि से भारत में हिन्दू देवी-देवताओं के अनेक मंदिर विद्यमान हैं। उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्या कुमारी तक भगवान शिव के मंदिरों की बड़ी श्रृंखला भोलेनाथ के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है। वैदिक समय से शिव को रुद्र कहा गया है। शिव पुराण में शिव के द्वादस ज्योतिर्लिंगों के दर्शन की महिमा बताई गई हैं।

 

भारत में उत्तराखंड में केदारनाथ, गुजरात में सोमनाथ, उज्जैन में महाकाल, वाराणसी में काशी विश्वनाथ, हिमालय पर अमरनाथ, भुवनेश्वर में लिंगराज, मध्य प्रदेश में खजुराहो जैसे अनेक विख्यात मंदिर हैं जिनके दर्शन कर पुण्य कमाना श्रद्धालु अपना सौभाग्य मानते हैं। महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का महा पर्व है। असंख्य शिव मंदिर बमभोले के जैकारे से गूंज उठते हैं और यह गूंज भारत में ही वरण सात समंदर पार विदेशों में भी पूरी श्रद्धा से गूंजती है।

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भारत में ही नहीं विदेशों में भी शिव पूजा बड़ी श्रद्धा एवं भावना के साथ की जाती हैं। आइये! इस बार महाशिवरात्रि पर जानते हैं विदेशों में कहाँ-कहाँ हैं शिव मंदिर।

 

हमारे पड़ोसी हिन्दू देश नेपाल का पशुपतिनाथ का मंदिर देखने का सपना हर भारतवासी का होता है। न केवल भारतवासी वरण बड़ी संख्या में विदेशी भी यहाँ दर्शन करने आते हैं। बागमती नदी के किनारे बने मंदिर में भगवान शिव पंचमुखी शिवलिंग के रूप में पूजित हैं। शिव के साथ-साथ गणेश, हनुमान एवं देवी दुर्गा की पूजा भी की जाती है। यह भव्य मंदिर करीब 4 हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।लगभग 11वी सदी में निर्मित मंदिर का 17वीं शदी में जीर्णोद्धार कराया गया। मंदिर नेपाली शैली का अच्छा नमूना है।

 

हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर शिव भक्ति की मान्यता का बड़ा केंद्र है। तिब्बत चीन के अधीन होने से यह चीन में आता है। यहाँ साक्षात शिव का निवास माना जाता है। कैलास मानसरोवर समुद्र तल से 6,638 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

 

दक्षिण भारतीय द्रविड शैली में निर्मित, भव्य स्थापत्य कला का प्रतीक शिव मंदिर श्रीलंका के छोटे से गांव मुंनेश्वरम में पूजित है। साथ मे देवी काली का मंदिर भी स्थित है। मंदिर परिसर में पांच मंदिर हैं जिनमें सबसे सुंदर और बड़ा मंदिर भगवान शिव का है। इसका सम्बंध रामायण काल से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान राम ने यहां शिव की आराधना की थी। इस शिव मंदिर को देखने वर्ष भर भारत से भी श्रद्धालु जाते हैं।

 

स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में छोटा सा पर खूबसूरत मंदिर शिवा टेम्पल के नाम से स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में शिव लिंग के पार्श्व में नटराज रूप में शिव एवं देवी पार्वती की प्रतिमाएं हैं। भगवान शिव से सम्बंधित समस्त पर्वो को यहाँ भक्ति भाव से मनाया जाता हैं।

 

आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में स्थापित है शिवा- विष्णु मंदिर। मंदिर परिसर में भगवान शिव-विष्णु के साथ साथ अन्य हिन्दू देवी-देवता भी पूजे जाते हैं। मंदिर का निर्माण लगभग 1987 के आस-पास किया गया। मंदिर की वास्तुकला  भारतीय एवं आस्ट्रेलिया कला का मिश्रण है। मंदिर का उद्दघाटन श्रीलंका एवं कांचीपुरम के 10 पुजारियों द्वारा किया गया था।

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मलेशिया में स्थित अरुलमिगु श्रीराजा कली अम्मन मंदिर-जोहोर बरु में स्थित है। यह यहाँ के पुराने मंदिरों में से है। मंदिर निर्माण के लिए यहाँ के शासक द्वारा भूमि उपलब्ध कराई थी। पहले मंदिर का रूप छोटा था आज यह भव्य स्वरूप में परिवर्तित हो गया है। मंदिर का निर्माण 1922ई. के आसपास किया गया। मंदिर के गर्भगृह की सजावट करीब तीन लाख मोतियों को दीवार पर चिपका कर की गई हैं।

 

न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्थित शिवा मंदिर को 2004 में भक्तों के लिए खोला गया। यहाँ भगवान शिव नवदेश्वर शिवलिंग के रूप में पूजे जाते हैं। मंदिर का निर्माण महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र महाराज एवं यज्ञ बाबा के मार्गदर्शन में हिन्दू शास्त्रों के अनुरूप कराया गया। इनके अलावा केलिफोर्निया के लिवेरमोरे में, मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में, इंडोनेशिया के जावा द्वीप में, मॉरीशस में भी भगवान शिव के मंदिरों में आराधना की जाती है।

 

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

लेखक एवं पत्रकार

 

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