By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 13, 2019
जम्मू। अलगाववादियों के बंद के कारण एक सप्ताह में दूसरी बार अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर देना पड़ा है। इससे पहले 8 जुलाई को आतंकी कमांडर बुरहान वानी की तीसरी बरसी पर भी अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर देना पड़ा था। अलगाववादियों के बंद का असर अमरनाथ यात्रा पर देखने को मिला है। बंद के कारण एक दिन के लिए अमरनाथ यात्रा रोक दी गई। शनिवार को अलगाववादियों के संयुक्त संगठन ज्वाइंट रजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने श्रीनगर बंद की काल की थी। यह बंद वर्ष 1931 में 13 जुलाई को श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके में मारे गए करीब 22 लोगों के विरोध में किया गया है। कश्मीर के लोग इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं जबकि जम्मू के लोग इसका विरोध करते हैं क्योंकि यह मामला तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह से जुड़ा है।
अलगाववादी संगठनों ने लोगों से अनुरोध किया था कि वे शनिवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखें और इस बंद की कॉल को सफल बनाएं। नतीजतन अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शनिवार को जम्मू-कश्मीर से यात्रियों का जत्था रोक दिया गया। इससे पहले, 8 जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की बरसी पर भी अलगाववादियों के विरोध प्रदर्शन के कारण अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के जत्थे को रवाना होने से रोक दिया गया था। कश्मीर घाटी में शहीदी दिवस पर आज अलगाववादी संगठनों के साझा मंच ज्वाइंट रजिस्टेंस लीडरशिप के बंद के आह्वान पर श्रीनगर के कई हिस्सों में धारा 144 लागू की गई थी। श्रीनगर और कश्मीर घाटी के ज्यादातर हिस्सों में बंद के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया था।
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कश्मीर घाटी में सभी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। श्रीनगर शहर के ज्यादातर हिस्सों में पूर्ण बंद रहा। सड़कों पर सन्नाटा था। श्रीनगर के पुराने शहर तथा डाउन टाउन व कई अन्य हिस्सों में प्रदर्शन की आशंका के चलते धारा 144 लागू की गई थी। कश्मीर घाटी में रेल सेवा को स्थगित कर दिया गया था। प्रशासन ने शुक्रवार को अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया था। हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेता मुख्तार वाजा सहित हिलाल वार और जावेद मीर को भी उनके घरों पर नजरबंद कर दिया गया था।