By अभिनय आकाश | Aug 21, 2023
22 से 24 अगस्त तक जोहान्सबर्ग में 15वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन यूक्रेन में संघर्ष, ग्लोबल साउथ पर इसका प्रभाव, पश्चिम देशों और रूस के बीच संबंधों में तल्खी, रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध जैसे कई अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में इसका आयोजित किया जा रहा है। इसके साथ चीन के साथ अमेरिका के संबंधों में भारी गिरावट, डब्ल्यूटीओ के कमजोर होने से वैश्विक व्यापार प्रणाली तनाव में है। शिखर सम्मेलन के एजेंडे में प्रमुख मुद्दे सदस्यता का विस्तार, ऐसा करने के मानदंड, ग्लोबल साउथ के भीतर सहयोग बढ़ाना और विकासशील देशों को लाभ पहुंचाने के लिए वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक वास्तुकला को दोबारा आकार देना, ब्रिक्स देशों के बीच राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करना शामिल है। इसके अलावा व्यापार आदान-प्रदान के डी-डॉलरीकरण की दिशा में ब्रिक्स आरक्षित मुद्रा बनाने की क्षमता, वैश्विक शासन संस्थानों में सुधार, अधिक बहुध्रुवीय दुनिया को बढ़ावा देना, सतत विकास पर 2030 एजेंडा की उपलब्धि, इत्यादि।
दक्षिण अफ्रीका ने 67 नेताओं को आमंत्रित किया
दक्षिण अफ्रीका ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, एशिया और कैरेबियाई देशों के 67 नेताओं को आमंत्रित करके जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन को एक महत्वपूर्ण आयोजन बना दिया है। यह अन्य ब्रिक्स देशों द्वारा विशेष आमंत्रितों के माध्यम से उनकी अध्यक्षता में किए गए कार्यों से कहीं अधिक है। राष्ट्रपति रामफोसा के लिए यह ऐसे समय में अपनी आंतरिक और बाहरी राजनीतिक प्रोफ़ाइल को बढ़ाने का एक अच्छा अवसर है जब दक्षिण अफ्रीका की आर्थिक स्थिति प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट, लगभग 35 प्रतिशत और युवा बेरोजगारी से अधिक के साथ तेजी से खराब हो गई है।
ब्रिक्स विस्तार पर तनाव क्यों है
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन की स्थिति के बारे में जानकारी देने वाले लोगों ने कहा कि इस बात पर तनाव बढ़ रहा है कि क्या ब्रिक्स को विकासशील देशों के आर्थिक हितों के लिए एक गुटनिरपेक्ष क्लब होना चाहिए या एक राजनीतिक ताकत जो पश्चिम को खुले तौर पर चुनौती देती है। दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों ने कहा कि 23 देश ब्रिक्स में शामिल होने के इच्छुक हैं। वहीं रॉयटर्स की रिपोर्ट में तो दावा किया गया है कि सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, अल्जीरिया, मिस्र और इथियोपिया सहित 40 से अधिक देशों ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने में रुचि दिखाई है।
चीन विस्तार के पक्ष में है
चीन समूह के विस्तार का समर्थन करता है। चीन के विदेश मंत्रालय ने रॉयटर्स को बताया कि वह सदस्यता के विस्तार में प्रगति का समर्थन करता है और जल्द ही 'ब्रिक्स परिवार' में शामिल होने के लिए अधिक समान विचारधारा वाले भागीदारों का स्वागत करता है। ये बताता है कि चीन खुलकर ब्रिक्स को एक हथियार के तौर पर विकसित करना चाहता है, जो दुनिया के सबसे शक्तिशाली समूह जी7 से टक्कर ले सके। भारत ये नहीं चाहता है कि ब्रिक्स अपने गठन के उद्देश्यों से भटके औऱ विकासशील देशों की आवाज बनने की जगह चीन के हितों को साधने के लिए इस्तेमाल हो।