By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 29, 2019
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि संघर्षों में आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राष्ट्रीय सरकारों की सबसे पहली जिम्मेदारी है न कि शांतिरक्षकों की। भारत ने चिंता जताई है कि सुरक्षा की राष्ट्रीय एवं सामाजिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बहुत कम काम किया गया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि के.नागराज नायडू ने कहा कि गलत तरीके से यह मान लेना आम प्रवृत्ति है कि आम लोगों की सुरक्षा संघर्ष में शामिल पक्षों, शांतिरक्षकों और मानवीय सहायता देने वाले संगठनों की जिम्मेदारी है। हालांकि यह जिम्मेदारी सबसे पहले राष्ट्रीय सरकारों की है।
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उन्होंने ‘सशस्त्र संघर्षों में आम नागरिकों की सुरक्षा’ विषय पर सुरक्षा परिषद में खुली चर्चा में ये बातें कहीं। विश्व निकाय में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि ने कहा कि संरक्षण की राष्ट्रीय एवं सामाजिक क्षमताओं को मजबूत बनाने के लिहाज से बहुत कम काम किया गया है। नायडू ने कहा, “बाहरी एजेंसियां राष्ट्रीय सरकारों की जिम्मेदारी की पूरक हो सकती हैं लेकिन उनकी जगह नहीं ले सकती।”
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साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण अभियानों के संदर्भ में आम लोगों की सुरक्षा एक जटिल मुद्दा है। इसके मुख्य कारण सशस्त्र संघर्षों की अलग-अलग प्रकृति, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण के लंबे समय से माने जा रहे सिद्धांतों के संभावित विरोधाभास, जनादेशों की सीमाओं और शांतिरक्षण मिशनों के लिए संसाधनों की अपर्याप्त उपलब्धता हैं।