By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 11, 2022
बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को निजी नियोजन आधार पर बॉन्ड जारी किये जाने के लिये कीमत निर्धारण की ‘इलेक्ट्रॉनिक बुक बिल्डिंग’ प्रक्रिया में बदलाव किया। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्रतिभूतियों का आवंटन बेहतर बोली पर हो न कि बेहतर प्रौद्योगिकी से युक्त बोलीदाता के तेजी से बोली लगाने के आधार पर। इसके अलावा, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड नेएंकर निवेश धारणा को एक विकल्प के रूप में पेश किया है, ताकि निर्गम जारी करने वाले मांग का आकलन कर सकें और कुछ संभावित निवेशकों से बोली को लेकर आश्वासन प्राप्त कर सकें।
सेबी के परिपत्र के अनुसार साथ ही, मौजूदा ‘इलेक्ट्रॉनिक बुक प्रोवाइडर’ (ईबीपी) के लिये रूपरेखा में भी संशोधन किया गया है। इसमें ‘एरेंजर’ यानी सेबी के पास पंजीकृत मर्चेन्ट बैंकर के लिये बोली सीमा और चूक की स्थिति में जुर्माना आदि शामिल हैं। ऐसी रिपोर्ट थी कि अत्याधुनिक तकनीक के आधार पर काम करने वाले कुछ कारोबारी विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग कर बॉन्ड के लिये बोली मामले में बॉन्ड हाउस, संपत्ति प्रबंधकों और बीमाकर्ताओं जैसे परंपरागत निवेशकों को पीछे छोड़ रहे हैं।
सेबी ने कहा, ‘‘तेजी से बोली लगाकर सफल बोलीदाता बनने को लेकर चिंता दूर करने के लिये, ‘बुक बिल्डिंग’ प्रक्रिया में संशोधन जरूरी है ताकि यह सुनश्चित हो कि आवंटन बेहतर बोली के जरिये हो न कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से युक्त तेजी से बोली लगाने के आधार पर।’’ नया विधान अगले साल एक जनवरी से प्रभाव में आएगा। सेबी ने कहा कि ‘इलेक्ट्रॉनिक बुक बिल्डिंग’ प्रक्रिया 50 करोड़ रुपये और उससे ऊपर की राशि की सभी निजी नियोजन के आधार पर जारी प्रतिभूतियों के लिये है। इसमें अधिक अभिदान आने पर बोली रखने का विकल्प शामिल है। शेयर बाजार ‘इलेक्ट्रॉनिक बुक’ प्रदाता हैं।