By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 30, 2020
नयी दिल्ली। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को एनडीटीवी पर वीसीपीएल ऋण समझौतों के बारे में मूल्य-संवेदनशील जानकारी का खुलासा नहीं करने के चलते पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। हालांकि, एनडीटीवी ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि वह नियामक के इस आदेश के खिलाफ अपील करेगी। सेबी ने अपने आदेश में कहा कि ऋण समझौते में कुछ ऐसी शर्तें शामिल थीं, जिससे मीडिया कंपनी के कामकाज पर काफी असर पड़ा। नियामक ने कहा कि इसकी जांच 2017 में क्वांटम सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड से शिकायत प्राप्त होने के बाद शुरू हुई थी, जिसमें विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) के साथ ऋण समझौतों के बारे में शेयरधारकों के समक्ष जरूरी सूचना का खुलासा नहीं करने पर कथित तौर पर नियमों के उल्लंघन के बारे में बताया गया।
सेबी के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक से लिये गये पहले के ऋण को चुकाने के लिये 2009 में वीसीपीएल के साथ ऋण समझौते के तहत एनडीटीवी के प्रवर्तकों द्वारा 350 करोड़ रुपये की ऋण राशि उधार ली गयी थी। इसके एक वर्ष बाद वीसीपीएल के साथ 53.85 करोड़ रुपये का दूसरा ऋण समझौता किया गया। रिण समझौते में एक शर्त के तहत वीसीपीएल को अप्रत्यक्ष रूप से एनडीटीवी की 30 प्रतिशत शेयरधारिता अधिग्रहण की अनुमति दी गई थी। यह अधिग्रहण आरआरपीआर होल्डिंग के वारंटों को इक्विटी में परिवर्तित करने के जरिये होना था।नियामक ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि कर्ज समझौते के तहत एनडीटीवी की 30 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग को वीसीपीएल के हवाले कर दिया गया था।
प्रणय रॉय, राधिका रॉय और आरआरपीआर होल्डिंग एनडीटीवी लिमिटेड के प्रवर्तक हैं। इससे पहले पिछले सप्ताह सेबी ने एनडीटीवी के प्रवर्तकों पर कुछ ऋण समझौतों के बारे में शेयरधारकों से जानकारी छिपाकर विभिन्न प्रतिभूति मानदंडों का उल्लंघन करने को लेकर 27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। उधर, एनडीटीवी ने इस बारे में दी गयी नियामकीय सूचना में कहा कि उसने कई अवसरों पर शेयर बाजारों के साथ सूचनाओं का खुलासा किया है। कंपनी ने कहा, उसने कई बार बताया है कि उसके संस्थापक व प्रवर्तक पत्रकार राधिका रॉय और प्रणय रॉय कंपनी की चुकता शेयर पूंजी के 61.45 प्रतिशत मालिकाना हक के साथ बहुलांश शेयरधारक बने हुये हैं। कंपनी ने कहा कि वह तत्काल सेबी के इस आदेश के खिलाफ अपील करने वाली है। कंपनी ने कहा है कि किसी तीसरे पक्ष के साथ व्यवस्था अथवा लेनदेन के जरिये कंपनी के नियंत्रण में किसी तरह का बदलाव नहीं आने वाला है। इसके विपरीत किसी भी तरह का आरोप अथवा रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार है।