पिछले दिनों एक विशाल चुनाव में फिर से साबित हो गया कि समझदार कुशाग्र बुद्धि खिलाड़ी परंपरागत खेल की मशहूर चाल, ‘ट्रम्प चाल’ चलकर चुनाव जीत लेते हैं। बताते हैं ताश के खेल में जब ट्रम्प का पत्ता निकलता है तो समझो यह पत्ता प्राप्त करने वाले की जीत पक्की। जो बात इस खास चाल में है वह साधारण चाल में कहां जी। नीतियों को ताश के पत्तों की तरह फेंटते हुए व्यावसायिक चिंतन करो, जीत को निशाना बनाकर सभी चालें शातिर खिलाड़ी की तरह चलो तो वही, सफल ट्रम्प चाल कहलाती है। विजय हासिल करने वाले, शासन चलाने वाले, ताक़त हथियाने वाले, खूब पैसा कमा लेने वाले यानि किसी भी चीज़ पर कब्ज़ा चाहने वाले आजकल यही चाल चल कर सफल हो रहे हैं।
सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, व्यवसायिक, जातीय या फिर धमकीयुक्त यानि अनेक रंगों में डुबो कर चली जा सकती है यह चाल। कुछ नासमझ लोग हैरान हो रहे होंगे कि यह कौन सी नई चाल आ गई। ऐसा कुछ नहीं है विश्वगुरुओं की भूमि के शकुनि, कैकयी इस चाल के सिद्धहस्त संचालक प्रेरक और अध्यापक रह चुके हैं। कई गहन उच्चस्तरीय चालें तो कृष्ण ने अर्जुन से भी चलवाई हैं। अवसर अनुसार उचित समय पर विवादास्पद ब्यान, दूसरे राज्यों की सत्ता हथियाना, नापसंद लोगों को राज्य की सीमा से बाहर रखना, महिलाओं के साथ सम्बन्धों को लेकर झूठ बोलना, खुद को सबसे समझदार मानना, फर्जी आंकड़े विश्वसनीयता से पेश करना, विज्ञान को पौराणिक संस्कृति का शिष्य बताना एक तरह से ट्रम्प चाल के अलग अलग यशस्वी अस्त्रशस्त्र हैं।
ट्रम्प चाल के वर्तमान नियमों के तहत जो व्यक्ति इनके प्रयोग की प्रक्रिया आत्मसात कर लेता है, उसकी सफलता सुनिश्चित रहती है। ‘प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं’, नीति के अंतर्गत इन गुणों का धारक ‘योद्धा’ शहर ही नहीं, देश क्या दुनिया भी कुशलता से चला सकता है। इसकी सफलता के कारण दुनिया भर में नए खतरनाक स्वार्थी मूल्यों, संस्कारों व शिष्टाचार की फसल लहलहा रही है। ट्रम्प चाल कालेज में मुफ्त दाखिला लेने के लिए, तीखा बोलना, बातों और इरादों में उलझाने में सिद्धहस्त होना, आरोपों की परवाह न करना जैसी मूल योग्यताएँ लाज़मी हैं।
अनुभवी शिक्षकों द्वारा सिखाया जाता है कि कितने गिरगिटी अंदाज़ में, समय नष्ट किए बिना, चट से जीवन मूल्य बदले व बेचे जा सकते हैं। सफलता की जीडीपी का स्तर उठा देने वाली ट्रम्प चाल इतनी प्रसिद्ध व स्वीकार्य होती जा रही है कि सीखने वाले बढ़ते जा रहे हैं। अनुभवी व्यवसायियों ने इंजीनियरिंग की कोचिंग बंद कर, नए विज्ञापन पट्ट लगाकर कोचिंग शुरू कर दी है जहां सरकार से भारी मदद लेकर, बिलकुल मुफ्त, बड़ी बड़ी बड़ी ट्रम्प चालें चलने का अचूक तरीका सिखाया जा रहा है। ट्रम्प चाल का मौसम पारम्परिक ‘साम, दाम, दंड, भेद’, का विकसित संस्करण है जी।
- संतोष उत्सुक