डिजिटल उपकरणों के लिए वैज्ञानिकों ने खोजे नए पदार्थ

By नम्रता दवे | Jun 06, 2017

नम्रता दवे। (इंडिया साइंस वायर)। हर रोज बदलती तकनीक के साथ उसकी कार्यक्षमता को बेहतर बनाने वाले पदार्थों की खोज भी जरूरी है। भारत एवं स्‍वीडन के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे पदार्थों की पहचान की है, जो नई पीढ़ी के डिजिटल उपकरणों के निर्माण में मददगार साबित हो सकते हैं। क्‍लाउड पर डाटा स्‍टोर करने से लेकर पोर्टेबल हार्ड ड्राइव बनाने और तीव्र गति के कंप्‍यूटर रैम जैसी तमाम आधुनिक ऐप्‍लीकेशन्‍स को क्‍वांटम यांत्रिकी में स्पिनट्रोनिक्‍स या स्पिन इलेक्‍ट्रोनिक्‍स के अंतर्गत रखा गया है। आईआईटी-गुवाहाटी और स्‍वीडन की उप्‍पसला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे नए चुंबकीय पदार्थों की पहचान की है, जो स्पिनट्रोनिक्‍स में उपयोग हो सकते हैं।

इलेट्रॉनिक उपकरणों के जरिये आवेशित होने वाले इलेक्‍ट्रॉन्‍स में स्पिन नामक गुण पाए जाते हैं, जिनके किसी छोटे चुंबकीय क्षेत्र में दो रूप स्पिन-डाउन और स्पिन-अप हो सकते हैं। स्पिन इलेक्ट्रॉनिक्स में इलेक्‍ट्रॉन के स्पिन एवं उसके आवेशी गुणों का उपयोग इलेट्रॉनिक डिवाइसों में ट्रांसफर स्‍पीड को बेहतर बनाने से लेकर स्‍टोरेज क्षमता में सुधार करने जैसे विविध कामों में किया जाता है। यह पहले से ज्ञात है कि इंटर-मेटैलिक हेजलर नामक तत्वों में कुछ खास चुंबकीय गुण होते हैं, जो स्पिनट्रोनिक्‍स ऐप्‍लीकेशन्‍स में उपयोगी होते हैं। भारतीय और स्वीडिश शोधकर्ताओं ने इस फैमिली के अन्‍य यौगिकों का पता लगाने के लिए एक व्यवस्थित खोज की है, जो स्पिनट्रोनिक्‍स उपकरणों में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। 

 

शोधकर्ताओं ने हेजलर फैमिली के यौगिकों की दो श्रेणियों पर अपना ध्‍यान केंद्रित किया, जिनके पास कुछ चुंबकीय गुण Co-X’-Mn-Si और Co-X’-Fe-Si  होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इनमें X’ एक रहस्‍यमयी तत्‍व है। पीरियोडिक टेबल में इ‍ट्रियम से सिल्‍वर तक प्रत्‍येक नौ तत्‍वों को X’ के स्‍थान पर प्रतिस्‍थापित करने पर वैज्ञानिकों को 18 संभावित तत्‍व मिले हैं। 

 

इन तत्‍वों के वैद्युतीय, संरचनात्‍मक एवं चुंबकीय गुणों का पता लगाने के लिए डेंसिटी फंक्‍शनल थ्‍योरी (डीएफटी) नामक कंप्‍यूटेशनल मॉडलिंग विधि उपयोग की गई है। इस विश्‍लेषण के आधार पर दो नए तत्‍वों Co-Tc-Mn-Si और Co-Rh-Mn-Si के बारे में पता चला है, जिसमें क्रमश: टेक्नेटियम और रोडियम पाए जाते हैं। 

 

बेहतर इलेक्‍ट्रॉनिक संरचना एवं स्‍थायित्‍व के अलावा इन दोनों तत्‍वों में हाफ मेटैलिसिटी एवं हाई क्‍यू‍री तापमान जैसे गुण पाए जाते हैं, जो स्पिनट्रोनिक्‍स ऐप्‍लीकेशन्‍स में जरूरी माने हैं। इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरणों के कस्‍टमाइज्‍ड एवं सुरक्षित कंडक्‍शन में हाफ मेटैलिसिटी में मददगार होती है। वहीं, लंबे समय तक उपयोग किए जाने या फिर उच्‍च ताप के संपर्क के कारण उपकरण गर्म हो जाते हैं, जिसका असर उनके चुंबकीय गुणों पर पड़ता है। हाई क्‍यू‍री ताप वाले पदार्थोंके उपयोग से इस समस्‍या को भी दूर किया जा सकता है। अध्‍ययनकर्ताओं को यह पता लगाने में भी सफलता मिली है कि हाफ मेटैलिक तत्‍वों में हाई क्‍यू‍री तापमान अनिवार्य रूप से नहीं पाया जाता। इन तथ्‍यों के आधार पर भविष्‍य में नए पदार्थोंसे जुड़े शोधों में मदद मिल सकती है। इस अध्‍ययन से जुड़े नतीजे साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। रिसर्च टीम में आशीष कुंडू, श्रीकृष्‍ण घोष, रूद्र बैनर्जी, शुभ्रदीप घोष एवं बिपल्‍ब सान्‍याल शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)

 

भाषांतरण: उमाशंकर मिश्र

प्रमुख खबरें

नववर्ष से पूर्व यूपी के करीब सौ नौकरशाहों को पदोन्नत की सौगात

Uttar Pradesh के मिनी पंजाब में फिर खालिस्तानियों की दस्तक

कैंसर के कारण 17 साल की उम्र में खोया था बचपन के प्यार, Vivek Oberoi ने अपनी लव स्टोरी पर की खुल कर बात

दोहरे चाल, चरित्र व चेहरा का भी पर्दाफाश...मायावती ने कांग्रेस पर लगाया अंबेडकर का अपमान करने का आरोप