भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने अपने परिसर में ‘स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ स्थापित किया है। इस केंद्र में नये प्रवेश सत्र- जनवरी 2021 से पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके अलावा, इस स्कूल में पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के डिग्री कार्यक्रम की योजना पर भी काम हो रहा है।
आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रामगोपाल राव के अनुसार “भविष्य में किसी राष्ट्र की प्रगति इस बात पर निर्भर होगी कि उसकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षमता कैसी है। भारत इस को बात समझता है और इस दिशा में लगातार काम कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नीतियों में एआई के महत्व का उल्लेख किया है। इसके साथ ही, एआई आधारित कंपनियों और इस क्षेत्र में सर्वाधिक नौकरियां मुहैया कराने वाले देशों में भारत पाँचवें स्थान पर है।”
आईआईटी दिल्ली में ‘स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ की स्थापना का उद्देश्य इस क्षेत्र में संस्थान के महत्व को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित करना है। आईआईटी दिल्ली एआई के क्षेत्र में अपने शोध कार्यों एवं शैक्षिक गतिविधियों के चलते भारत समेत पूरे एशिया में अग्रणी संस्थान रहा है। ‘सीएस’ (कम्प्यूटर साइंस) रैंकिग्स डॉट ओआरजी के मुताबिक पिछले दस वर्षों के दौरान एआई के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट प्रकाशनों के कारण आईआईटी दिल्ली भारत में अव्वल रहा है।
प्रोफेसर राव मानते हैं कि “हम कई महत्वपूर्ण आयामों में अभी भी पीछे हैं। देश में एआई शोधकर्ताओं की कमी और शोध की गुणवत्ता जैसे मुद्दे इसमें प्रमुखता से शामिल हैं। इस खाई को पाटने में यह पहल महत्वपूर्ण हो सकती है।”
आईआईटी दिल्ली के 50 से अधिक संकाय सदस्य एआई के विभिन्न आयामों पर पहले से काम कर रहे हैं। ‘स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ के स्थापित होने से उन गतिविधियों को विस्तार मिल सकता है। यह स्कूल एआई नवाचारों पर संयुक्त रूप से काम करने और फंडिंग में रुचि रखने वाले उद्योगों एवं सरकार की रुचि के केंद्र के रूप में भी उभर सकता है। आईआईटी दिल्ली की योजना इस केंद्र को विश्व स्तरीय बनाने की है।
इंडिया साइंस वायर