Uddhav Thackeray का नया वार, 'एक देश, एक पार्टी' की ओर देश को ले जा रही है BJP, Shivsena नाम और चुनाव चिह्न पर 31 को SC में सुनवाई

By नीरज कुमार दुबे | Jul 10, 2023

महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्मा गयी है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने ‘शिवसेना’ नाम और पार्टी का चिह्न ‘धनुष और बाण’ राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका पर 31 जुलाई को सुनवाई करने पर सोमवार को सहमति जताई है। हम आपको बता दें कि वकील अमित आनंद तिवारी ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया था जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि मामले को 31 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। पीठ ने वकील अमित आनंद तिवारी को शिंदे धड़े द्वारा दायर जवाब का प्रत्युत्तर देने की अनुमति देते हुए कहा, ‘‘इसे 31 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। हम इस पर उसी दिन सुनवाई करेंगे।’’ हम आपको याद दिला दें कि शीर्ष अदालत ने 22 फरवरी को शिंदे से जवाब मांगा था।


ठाकरे का विदर्भ दौरा


इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे विदर्भ के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने कहा है कि भाजपा की ‘एक देश, एक दल’ योजना कभी स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘‘करिश्मा’’ फीका पड़ता जा रहा है। राज्य के यवतमाल जिले के दिगरास में एक रैली को संबोधित करते हुए ठाकरे ने अजित पवार धड़े के नौ राकांपा विधायकों को महाराष्ट्र सरकार में शामिल किये जाने का मुद्दा उठाया और सवाल किया कि भाजपा के दावे के अनुसार यदि सरकार के पास बहुमत है तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को ‘चुराने’ की जरूरत क्या थी। ठाकरे ने कहा, ‘‘एक देश, एक कानून समझा जा सकता है। लेकिन हम भाजपा की एक देश, एक दल योजना कभी स्वीकार नहीं करेंगे।’’

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उद्धव ठाकरे का नया वार


उन्होंने कहा कि (पिछले साल) कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ शिवसेना के 40 विधायक भाजपा के साथ चले गये। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘‘उन्होंने (शिवसेना के शिंदे धड़े और निर्दलीयों समेत) दावा किया कि उनकी सरकार के पास पूर्ण बहुमत है। यदि ऐसी बात है तो राकांपा को चुराने की क्या जरूरत थी?’’ पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि पुरानी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ठाकरे नहीं, खाली शिवसेना को चाहती है। उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा अब निरर्थकों की पार्टी बन गयी है।’’ उनका इशारा हाल में महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नौ विधायकों के शामिल किये जाने की ओर था। ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री का ‘‘करिश्मा’’ फीका पड़ गया है, जो हाल के कर्नाटक विधानसभा चुनाव से समझ में आ गया है। ठाकरे ने कहा, ‘‘उन्होंने (मोदी ने) ‘बजरंग बली की जय’ का नारा जोरशोर से दिया लेकिन बजरंग बली ने पलटकर अपनी गदा से प्रहार किया तथा भाजपा का कर्नाटक में सफाया हो गया।’’ उन्होंने कहा कि एक दल से कुछ नेताओं का दूसरे दल में चला जाना समझा जा सकता है लेकिन ‘‘लोकतंत्र में पूरी पार्टी चुरा लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’ ठाकरे ने कहा, ‘‘हमने चुनाव से पहले कुछ विधायकों को एक दल से दूसरे दल में जाते हुए देखा है। लेकिन एक पूरी पार्टी को निगले जाने पर रोक लगनी चाहिए। लोकतंत्र में हर दल को अपनी राय प्रकट करने की अनुमति दी जानी चाहिए भले ही वे राजनीतिक विरोधी हों।’’ उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब मतपत्रों के माध्यम से नयी सरकार बनती थी ‘‘लेकिन अब नयी सरकार खोखा के माध्यम से बनती है।’’


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में मोदी ने कहा कि महाराष्ट्र में 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ और उन्होंने इसका ठीकरा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर फोड़ा। कुछ ही दिनों में राकांपा का एक धड़ा सरकार में शामिल हो गया। अब राकांपा नेता ने प्रधानमंत्री के साथ अपना फोटा साझा किया। यह किस प्रकार का हिंदुत्व है?’’ ठाकरे ने दावा किया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अक्टूबर, 2019 में मुंबई में उनके आवास ‘मातोश्री’ में भेंट के दौरान अविभाजित शिवसेना के साथ ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री का पद साझा करने का वादा किया था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने अपना वादा कबूल करने से इंकार कर दिया, फलस्वरूप मैंने राकांपा एवं कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया।’’ हम आपको बता दें कि जहां ठाकरे की रैली हुई वह इलाका दिगरास शिवसेना विधायक और राज्य के मंत्री संजय राठौड़ का गढ़ है। राठौड़ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खेमे में चले गए हैं।


उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले लिए गए ‘‘फैसले’’ का सम्मान किया होता तो भाजपा कार्यकर्ताओं को अब दूसरे दलों के लिए ‘‘कालीन’’ नहीं बिछानी पड़ती। यवतमाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ठाकरे ने भाजपा पर जोरदार निशाने साधे। महाराष्ट्र में अजित पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कुछ अन्य विधायकों के पार्टी से बगावत करने तथा एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल होने के एक सप्ताह बाद ठाकरे ने कहा कि वह यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि भाजपा अपनी ‘नयी टोली’ को कैसे संभालती है। उन्होंने यह भी कहा कि वह विदर्भ के अपने दौरे पर किसानों से जुड़े मुद्दे उठाएंगे।


दूसरी ओर, भाजपा ने उद्धव के इस दौरे पर निशाना साधते हुए कहा है कि जो व्यक्ति केवल दो बार ‘मंत्रालय’ (सचिवालय) गया था, वह विदर्भ का दौरा कर रहा है, इस पर ठाकरे ने कहा कि भाजपा कुछ कहने के लायक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को दूसरों पर आरोप लगाने बंद करना चाहिए और जिन्हें उसने लिया है, उन्हें संभालना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि भाजपा इस बारे में कुछ कहने के लायक है। उसके पास हमें उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। मैं सिर्फ यह देखने का इंतजार कर रहा हूं कि भाजपा अपनी नयी टोली को कैसे संभालती है।’’

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