By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 19, 2019
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद लगायी गयी पाबंदियों से संबंधित मुद्दों की गंभीरता वह समझता है। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब इस मामले में एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों से संबंधित मामले की सुनवाई स्थगित कराके सरकार ने इसमें विलंब कर दिया है।
पीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जम्मू कश्मीर प्रशासन का प्रतिनिधित्व कर रहे सालिसीटर जनरल तुषार मेहता अथवा किसी भी अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के न्यायालय में उपस्थित नहीं रहने पर अप्रसन्नता व्यक्त की। पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि किसी भी आधार पर मामले को स्थगित नहीं किया जायेगा। बेहतर होगा कि सालिसीटर जनरल इस मामले में पेश हों और बहस करें।पीठ ने कहा, ‘‘हम इस विषय की गंभीरता के प्रति सचेत हैं।’’
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भोजनावकश के बाद आगे शुरू हुयी सुनवाई के दौरान न्यायालय में दो अतिरिक्त सालिसीटर जनरल उपस्थित थे।दवे ने अपनी बहस आगे बढ़ाते हुये कहा कि अगस्त से अक्टूबर के दौरान शीर्ष अदालत में लंबित इस मामले में कुछ नहीं हुआ क्योंकि तीन महीने से अधिक समय से पाबंदियां लगी होने के तथ्य के बावजूद सरकार ने सुनवाई स्थगित करायी।पीठ ने जब दवे से यह पूछा कि क्या वह मामले की सुनवाई में विलंब के लिये न्यायालय की आलोचना कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वह सरकार के रवैये के खिलाफ हैं।दवे ने कहा, ‘‘यह बहुत ही गंभीर मामला है। शीर्ष अदालत इसकी सुनवाई करने के प्रति गंभीरता दिखा रही है।’’दवे ने कहा कि देश में अदालतें ही नागरिकों के अधिकारों की ‘सर्वोच्च संरक्षक’ हैं और शीर्ष अदालत ने हमेशा ही लोगों के अधिकारों की रक्षा की है।