SC verdict Full updates on Article 370: 18 याचिकाएं, 16 दिनों की मैराथन सुनवाई, जानें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

By अभिनय आकाश | Dec 11, 2023

अनुच्छेद 370 पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। 370 को निरस्त करने के खिलाफ कुल 18 याचिकाएं दायर की गई थी जिन पर 16 सुनवाई हुई और उन पर 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त किया गया था। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ा। उन्होंने कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है और प्रथम दृष्टया ऐसा कोई मामला नहीं है कि राष्ट्रपति के आदेश फ़ाइल या शक्ति का अनावश्यक प्रयोग थे। जबकि अदालत का कहना है कि 2019 में पूर्ववर्ती राज्य का केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन एक अस्थायी कदम था, यह केंद्र को राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश देता है। 

इसे भी पढ़ें: PDP का बड़ा बयान, कहा- Article 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले Mehbooba Mufti को नजरबंद किया

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता पर फैसला सुनाया। पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत हैं। 

फैसला में क्या कहा गया

5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को रद्द करने के अलावा, केंद्र सरकार ने कुछ दिनों बाद तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर (विधानमंडल के साथ) और लद्दाख (विधानमंडल के बिना) में विभाजित कर दिया था। इस साल 16 दिनों तक इस मुद्दे पर याचिकाकर्ताओं और केंद्र की सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने 5 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति खन्ना ने अपनी अलग, सहमति वाली राय पढ़ी। जस्टिस खन्ना का कहना है कि अनुच्छेद 370 असममित संघवाद का उदाहरण है और जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का सूचक नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से संघवाद खत्म नहीं होगा। 

इसे भी पढ़ें: Breaking on Article 370 verdict | अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का सबसे बड़ा फैसला, जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर वैध

जस्टिस कौल ने सत्य और सुलह आयोग स्थापित करने की सिफारिश की

न्यायमूर्ति कौल ने जम्मू-कश्मीर में राज्य और गैर-राज्य दोनों द्वारा मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की जांच के लिए एक सत्य और सुलह आयोग की स्थापना की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि यह संवाद पर आधारित होना चाहिए न कि आपराधिक अदालत बनना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संविधान में संप्रभुता का कोई जिक्र नहीं था. हालांकि, भारत के संविधान की प्रस्तावना में इसका उल्लेख मिलता है. भारतीय संविधान आने पर अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर पर लागू हुआ। 

सीजेआई ने क्या कहा

सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था और ये विघटन के लिए नहीं था। राष्ट्रपति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है। अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है।  सीजेआई का मानना है ​​अब प्रासंगिक नहीं है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा वैध थी या नहीं। सीजेआई ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार किया, क्योंकि इसे याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से चुनौती नहीं दी थी। 


प्रमुख खबरें

Hatkanangal क्षेत्र में लोगों का शिंदे गुट की Shiv Sena पर भरोसा कायम, विधानसभा चुनाव में होगी असली परीक्षा

विधानसभा चुनाव के दौरान Sangli क्षेत्र में होगी कांटे की टक्कर, लोकसभा चुनाव में सभी के हाथ थे खाली

नेहरू ने शिवाजी पर अपनी टिप्पणियों को संशोधित किया था, फडणवीस बताएं कब माफी मांगेंगे: Patole

Kumaraswamy ने एमयूडीए मामले में विपक्षी दलों को निशाना बनाने के लिए सिद्धरमैया पर किया पलटवार