By अनुराग गुप्ता | Aug 14, 2020
दरअसल, पाकिस्तान मांग कर रहरा था कि सऊदी अरब और यूएई मिलकर ओआईसी (ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ) की मीटिंग बुलाएं। जहां पर कश्मीर मुद्दे को लेकर विस्तृत चर्चा हो और भारत के खिलाफ एक रणनीति तैयार की जाए। हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ओआईसी में कश्मीर मामले पर विदेश मंत्रियों की परिषद की खास बैठक बुलाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि मैं एक बार फिर ओआईसी से सम्मानपूर्वक कह रहा हूं कि हम कश्मीर मसले पर विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाना चाहते हैं और अगर आप यह बैठक नहीं बुला सकते तो फिर मुझे प्रधानमंत्री इमरान खान से कहना पड़ेगा कि वो उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो कश्मीर मुद्दे पर हमारे साथ हो।
पाकिस्तान के रवैये से सऊदी अरब को काफी ठेस पहुंची और उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि अब वह पाकिस्तान को न तो कर्ज देगा और न ही तेल।
सऊदी अरब के पास है सबसे ज्यादा ताकत
पाकिस्तान चाहता है कि सऊदी अरब ओआईसी की बैठक बुलाए क्योंकि वह ओआईसी का अध्यक्ष है। ऐसे में उसके पास ताकत भी सबसे ज्यादा है। आपको बता दें कि ओआईसी मुस्लिम देशों का एक बहुत बड़ा मंच है। जिसके सदस्य 57 देश हैं। पाकिस्तान के साथ कर्ज और तेल का समझौता समाप्त करने वाले सऊदी अरब ने यह संदेश तो दे दिया कि वह मीटिंग नहीं बुलाएगा और इसके पीछे की वजह सऊदी अरब के भारत के साथ अच्छे संबंधों को बताया जा रहा है।
कुरैशी के बर्ताव से बिगड़ी दोस्ती
पाकिस्तान की सऊदी अरब से काफी अच्छी दोस्ती थी लेकिन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयानों से सऊदी अरब को काफी ठेस पहुंची है। जिसकी वजह से पाकिस्तान को सऊदी अरब का एक अरब डॉलर का कर्ज भी चुकाना पड़ा है। भारत को घेरने के चक्कर में पाकिस्तान ने अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार ली है। बता दें कि पाकिस्तान कोरोना संक्रमण के चलते पहले से ही आर्थिक संकटों का सामना कर रहा था ऐसे में उसके संबंध सऊदी अरब से भी बिगड़ गए। जिसने मई से ही पाकिस्तान को उधार में तेल देना बंद कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में पाकिस्तान को तेल की किल्लत का सामना कर पड़ सकता है।
5.2 अरब डॉलर का अभी भी है कर्ज
भले ही पाकिस्तान ने सऊदी अरब का एक अरब डॉलर का कर्ज चीन की मदद से चुका दिया हो लेकिन इससे हालात नहीं सुधरने वाले हैं क्योंकि अभी भी पाकिस्तान को 5.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना बाकी है।
भले ही पाकिस्तान चीन से मदद लेकर सऊदी अरब का कर्ज चुका दे लेकिन भी कब तक पाकिस्तान की मदद करेगा। क्योंकि खुद चीन इन दिनों खाद्य संकट का सामना कर रहा है। पाकिस्तान जहां आर्थिक संकट का सामना कर रहा है तो चीन के सामने खाद्य समस्या एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है।
खाद्य संकट का सामना कर रहा चीन !
चीन ने भोजन की बर्बादी रोकने के लिए क्लीन योर प्लेट अभियान का नया संस्करण शुरू किया है। इससे ऐसी अटकलों को बल मिला है कि कोरोना महामारी के बाद दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश खाद्य संकट का सामना कर रहा है। इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस अभियान की शुरूआत की थी। उन्होंने कहा था कि भोजन की बर्बादी परेशान करने वाली बात है और जरूरी है कि इस संबंध में सार्वजनिक जागरूकता को और बढ़ाया जाए, मितव्ययी आदतें अपनायी जाएं और एक सामाजिक वातावरण को बढ़ावा दिया जाए जहां बर्बादी शर्मनाक हो।
सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि पिछले अभियान का मकसद अधिकारियों के महंगे भोज पर रोक लगाना था। इस दूसरे संस्करण में जनता से आह्वान किया गया है कि वे भोजन की बर्बादी नहीं करें। उसने कहा कि शुरू में इस पहल से कुछ मीडिया घरानों द्वारा ऐसी अटकलों को हवा दी गयी थी कि क्या चीन में खाद्य संकट है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया वास्तव में भोजन की कमी का सामना करती है, लेकिन चीन के लिए, खाद्ध सुरक्षा को असली खतरा महामारी या बाढ़ से नहीं बल्कि भोजन की बर्बादी से है।