By प्रिया मिश्रा | Jun 10, 2022
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनिदेव को न्याय का देवता मन जाता है। शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ज्योतिष के अनुसार शनि के राशि परिवर्तन और मार्गी या वक्री होने से इसका सभी राशि के जातकों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। शनि ग्रह बाकी सभी ग्रहों में से सबसे धीमी गति से चलते हैं। यही कारण है कि शनि के राशि परिवर्तन का एक चक्र करीब 30 साल में पूरा होता है। शनिदेव 5 जून 2022 को वक्री हुए हैं और 141 दिन तक इसी अवस्था में रहेंगे। यानि कि 23 अक्टूबर 2022 तक शनिदेव वक्री अवस्था में ही रहेंगे। इसी दौरान 12 जुलाई को शनि वक्री रहते हुए मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उसके बाद 17 जनवरी को कुंभ राशि में शनि देव गोचर करेंगे। शनि के मकर राशि में प्रवेश करते ही 12 जुलाई 2022 से धनु, मकर और कुंभ राशि वालों की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। वहीं, शनि के कुंभ राशि में गोचर से कर्क और वृश्चिक वालों पर ढैय्या शुरू हो चुकी है। मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि की ढैय्या खत्म हो गई है।
साल 2022 शनि के गोचर की दृष्टि से काफी प्रमुख है। इस वर्ष शनि की स्थिति में बहुत से परिवर्तन होते रहेंगे। साल 2022 का सबसे बड़ा राशि परिवर्तन 29 अप्रैल को हुआ है। शनि 30 वर्षों बाद 29 अप्रैल को मकर राशि को छोड़कर अपनी दूसरी स्वराशि कुंभ में प्रवेश कर गए हैं। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं। इसके बाद शनि 5 जून को कुंभ राशि में वक्री चाल से चल रहे हैं और 13 जुलाई 2022 को वक्री होकर फिर से मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इसके बाद शनि 17 जनवरी 2023 को पूर्ण रूप से कुंभ राशि में आ जाएंगे।
शनि की साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए करें ये उपाय
सुबह जल्दी उठकर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा करें। शाम को सर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना चाहिए।
सुबह जल्दी उठकर स्नादि कार्यों से निवृत होकर एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद तेल को किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भाग्य संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं।
तांबे के दीपक में तिल या सरसों का तेल भरकर ज्योति जलानी चाहिए।
प्रत्येक शनिवार को उड़द की दाल को भोजन में शामिल कीजिए और एक समय उपवास करिये।
शनि का शुभ परिणाम पाने के लिए अपने आचरण में सुधर करें और अपने माता-पिता को हमेशा सम्मान दें।
एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरें और दान कर दें।
शनि के मंत्र ॐ शं शनिश्चरायै नमः का जाप 3 माला रोज शाम को करें।
शनिवार की शाम को सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं और पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगातार 40 शनिवार करें।
साढ़े साती के दौरान ग्रह शनि को खुश करने के लिए प्रत्येक शनिवार को भगवान शनि की पूजा करना सबसे अच्छा उपाय है।
शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- प्रिया मिश्रा