शानदार अभिनय व निर्देशन के लिए हमेशा याद आयेंगे सतीश कौशिक

By दीपक कुमार त्यागी | Mar 10, 2023

भारतीय सिनेमा जगत को 9 मार्च 2023 की सुबह का दिन बेहद ही दर्दनाक खबर के साथ बहुत गहरे जख्म देकर चला गया। लोगों को पर्दे व वास्तविक जीवन में हंसाने वाली शानदार शख्सियत के धनी 'सतीश कौशिक' के अचानक हुए निधन की खबर ने दिलो-दिमाग को सुबह-सुबह ही झकझोर कर रख दिया। आम जनमानस की तरह मेरा मन भी किसी भी सूरते-हाल में यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि आखिर सबको हंसाने वाली शानदार शख्सियत आज रुला कर कैसे चला गया, लेकिन ईश्वर की इच्छा पर किसी का कोई बस नहीं चलता है। वैसे भी जो शख्स 7 मार्च को जावेद अख्तर व शबाना आजमी के द्वारा आयोजित होली पार्टी का पूर्ण रूप से स्वस्थ अवस्था में जमकर लुत्फ ले रहा हो। वह एक दिन बाद यूं ही 66 वर्ष की आयु में अचानक से दुनिया से रुखसत हो जायेगा, दिल का दौरा आने के चलते इस शानदार अभिनेता के जीवन का पल में ही अंत हो जाएगा। 


13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में पैदा हुए 'सतीश कौशिक' ने वर्ष 1972 में दिल्ली के प्रतिष्ठित 'किरोड़ीमल कॉलेज' से स्नातक किया। उन्होंने अपने सपनों को साकार करने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) और भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) से सिनेमा जगत से जुड़ी बारीकियों की शिक्षा ली थी। वर्ष 1983 में फिल्म 'मासूम' से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत करने वाले 'सतीश कौशिक' ने सिनेमा जगत में करियर शुरू करने से पहले थिएटर में काम करके अपनी पहचान बनाने का किया था। उन्होंने अभिनेता बनने से पहले जीवन यापन के लिए कुछ समय तक एक टेक्सटाइल फैक्ट्री में नौकरी तक भी की थी। हालांकि 'सतीश कौशिक' को वर्ष 1987 में रिलीज हुई फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में अपने यादगार हास्य किरदार 'कैलेंडर' के कारण ही माया नगरी मुंबई के सिनेमा जगत व दर्शकों के बीच विशेष पहचान मिल गयी थी, उस पहचान ने ही उनके सपनों को पूरा करने के लिए उड़ान के लिए मजबूत पंख लगाने का कार्य किया था। जिसके बाद उन्होंने लगभग 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने का कार्य किया था। वर्ष 1993 में 'सतीश कौशिक' ने फिल्म 'रूप की रानी चोरों का राजा' से अपने डायरेक्शन का डेब्यू किया था और उनकी यह फिल्म उस दौर की बेहद प्रसिद्ध फिल्मों में से एक रही थी। उन्होंने अपने हास्य किरदारों व निर्देशन के बलबूते दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाते हुए माया नगरी मुंबई के सिनेमा जगत में विशिष्ट पहचान बनाई थी।"

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मुझे 'सतीश कौशिक' से अपनी पहली मुलाकात आज भी बहुत अच्छे से याद है, दिल्ली के छतरपुर के एक फार्म हाउस में फिल्म 'मिलेंगे मिलेंगे' की शूटिंग के दौरान मैं उनसे पहली बार मिला था, मैं उनके सरल-सहज व्यवहार से बेहद प्रभावित हुआ था। मिलनसार व्यक्तित्व के धनी 'सतीश कौशिक' से मेरी जब भी मुलाकात हुई वह हमेशा बेहद गर्मजोशी के साथ हंसते-मुस्कुराते हुए नज़र आते थे, मैं उनसे उनके जीवन संघर्ष की गाथा के बारे में विस्तार से बात अवश्य करता था, उनके जीवन की संघर्षों से लेकर के सफलता हासिल करने तक की गाथा, जीवन पथ की हर  मुश्किलों पर संघर्ष के बूते विजय हासिल करने का एक नया जोश भरने का कार्य करती थी। उनकी स्पष्टवादिता व सही सलाह ने सिनेमा जगत में करियर बनाने के सपने देख रहे दिल्ली के बहुत सारे कलाकारों व नव धनाढ्य युवाओं को माया नगरी मुंबई में ठगने से बचाया था। मैं जब भी उनसे मिलता था वह अक्सर कहते थे कि भाई मेहनत व संतोष का फल हमेशा मीठा होता है, व्यक्ति को बिना हिम्मत हारे जीवन पथ पर मुश्किलों का सामना करते हुए, अपने लक्ष्य व सपनों को पूरा करने के लिए हर परिस्थिति में सकारात्मक प्रयास अवश्य करने चाहिए। 'सतीश कौशिक' का यूं अचानक से चले जाना भारतीय सिनेमा जगत के लिए एक बहुत बड़ी अपूरणीय क्षति है। भारतीय सिनेमा जगत ने एक शानदार जिंदादिल इंसान, बहुत बेहतरीन हास्य अभिनेता, प्रतिभाशाली लेखक, निर्देशक और निर्माता को खो दिया है। हालांकि 'सतीश कौशिक' की बहुमुखी प्रतिभा से युक्त उनके किरदारों ने उन्हें हमेशा के लिए अमर कर दिया है और उनके किरदार भारतीय सिनेमा जगत का हमेशा मार्गदर्शन करते रहेंगे। उनके द्वारा फिल्मों में निभाए गए किरदारों में दर्शकों को आकर्षित करके फिल्म के इर्दगिर्द बांधे रखने की बहुत ही जबरदस्त क्षमता थी। मैं ऐसे शानदार व्यक्तित्व के धनी इंसान 'सतीश कौशिक' को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कोटि-कोटि नमन करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान देकर मोक्ष प्रदान करें और अपार दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को हौसला प्रदान करें।


- दीपक कुमार त्यागी

वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक

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