पानी की बढ़ती कमी के कारण मानवता भी पानी पानी हो रही है। ‘नानी याद आना’ मुहावरा जगह जगह बह रहा है। जिसे पानी मिल जाता है व्यवस्था को नहीं कोसता, पड़ोसी को नहीं बताता। वैसे तो आजकल पड़ोसी मिलते जुलते नहीं। साफ़ पानी मिलना लाटरी खुलने जैसा हो गया है। तालाबों को दफन करने के बाद अब उनकी कब्रें खोदी जा रही हैं। राजनेता अगर जादूगर होते तो लोगों को हिप्नोटाइज़ करते और उन्हें महसूस करा देते हमारे पास बहुत पानी है। उन्हें हर घर में नल चिपकाने की ज़रूरत नहीं रहती। ईश्वर मुस्कुरा रहे हैं। असलीयत का सांप सिहरन पैदा कर देता है।
पानी की किल्लत की खबर बहाते हुए प्रखर पत्रकार ने उबलता पानी उंडेला। वीआईपी, गणमान्य लोगों की कारें, लान व कुत्ते रोज़ नहाते हैं और कई बस्तियों में कई दिन के बाद भी पानी नहीं आता। आधा बाल्टी पानी से पहले परिवार का एक आदमी नहाता है, फिर उसी पानी से दूसरा और तीसरा। इसी पानी से कपड़े धोए जा रहे, बर्तन मंज रहे हैं। राजनीतिजी समझा रही हैं आज ज़्यादा से ज़्यादा वृक्ष लगाएं ताकि परसों बादल आकर बारिश कर दें। वही पत्रकार रात को घर जा रहे थे। जल विभाग अधिकारी थकावट दूर करने वाला पानी पिए मिल गए। बोले आपने हमारे विभाग की जड़ों में ख़ूब तेल डाला।
जनता परेशान वीआईपी मज़े में, आप पानी का प्रबंधन ठीक क्यूं नहीं करते, पत्रकार ने पूछा। झूठ बोलने की अवस्था न होने के कारण अफसर बोले, बड़े लोगों के साथ रिश्तों को जिन तरल चीज़ों से सींचना पड़ता है आजकल पानी उनमें से खास है। पानी आजकल के सूखे मौसम में ट्रांसफर भी करवा सकता है। इंडिया के 'वैरी इन्डिफरेंट पर्सन' को सबकुछ चाहिए और किसी को मिले न मिले।
आम वस्तु खास लोगों को ज़्यादा चाहिए। पानी बिना कुत्ते, फर्श, गार्डन, लॉन, रास्ता व गेम र्कोट कैसे धुलेंगे। लाल बत्ती उतरने से क्या फर्क पड़ता है। हमारे 'वैरी इंटैलीजैंट पर्सन' को सभी निजी काम सही तरीके से करने आते हैं। रोज़ न नहाएं और धुले कपड़े न पहनें तो 'वैरी आइडियलिस्टिक पर्सन' ताज़ादम फील नहीं करते। तरोताज़ा नहीं होंगे तो बेनहाई आम जनता के इतने काम कैसे करेंगे। तभी पानी की ज्यादा सप्लाई उनके यहां ज़रूरी है।
किट्टी में शान से बताना पड़ता है, हमारे यहां तो पानी की कोई कमी नहीं है। ‘वैरी इंडियन पर्सन’ को ऐसा ही होना चाहिए। पानी वाले भैया की बात में गहरा पानी है। आम आदमी हिम्मती होता है जो पानी बिना भी ज़िंदगी की मछली पालता है। बात सही है, जो स्वयं मछली हैं वे पानी के बाहर कैसे आ सकते हैं।
- संतोष उत्सुक