ज़िंदगी में बहुत सी ऐसी चीजें ऐसी होती हैं जो खानी पड़ती हैं। बहुत सी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं जिनका स्वागत करना पड़ता है। कुछ स्थितियां लौट कर आती हैं और स्वागत करवाती हैं। आजकल माहौल कुछ ऐसा ही बन गया है। मास्क ने मास्कजी का रूतबा तो पहले ही हासिल कर लिया था अब जोर शोर से कहा जा रहा है कि उनका फिर से स्वागत करें और अपना हमसफ़र बनाएं। यह बात अलग है कि हम बीमारियों से डरें या नहीं, मास्क पहनें या लटकाएं, मगर कोरोनाजी ने डराना शुरू कर दिया है।
इतिहास में दर्ज है जब कोरोनाजी और बाद में ओमीक्रोनजी आए थे, मास्क तो तब भी खुश होकर नहीं लगाए जाते थे। शान के मारे, अदा से जुर्माना देते थे। अब कोरोनाजी का नया असर डरा रहा है तो जुर्माना फिर से शुरू हो सकता है। विश्वगुरुओं के देश में सभी वीआईपी नहीं हो सकते कि मास्क न लगाएं और जुर्माना भी न दे, बीमार हो जाएं तो मुफ्त में इलाज करवाएं और अखबार में खबर विद रंगीन फोटो भी आएं। कुछ भी हो मास्क के गुण देखे जाने चाहिएं। मास्क लगाने से आप नुकसानदेह कीटाणु नहीं लेते और अपने कीटाणु चाह कर भी नहीं देते। मास्क थोडा बड़े आकार का हो तो फायदे बढ़ जाते हैं। पानी की कमी के कारण नहा नहीं पाए या नहाने का मन नहीं था, आपका चेहरा, जैसा भी हो, पहचाना नहीं जाएगा।
ऐसा कोई व्यक्ति जिससे आप बात नहीं करना चाहते, सामने से आ रहा हो, पास से निकलता है तो आप बच निकलोगे। शर्त यह रहेगी कि नाक भी ढका हो। उधार चुकाना है तो तब तक मोहलत मिल जाती है जब तक बिना मास्क नहीं मिलते। बड़े साइज़ का मास्क, अमुक विरोधी जिससे शारीरिक पंगा हुआ था, से बचाकर रख सकता है। इस सन्दर्भ में काला चश्मा और हैट अतिरिक्त सुरक्षा कवर प्रदान कर सकते हैं। मास्क लगा हो तो सामने व्यक्ति को खुले मन से, चुपचाप बुरा भला कह सकते हैं। बडबडाते हुए गाली जैसी चीज़ भी दे सकते हैं। भड़ास निकल जाएगी, उसे पता भी नहीं चलेगा। चाहे आँखों से झूठी मुस्कुराहटें प्रेषित करते रहिए।
मास्क देखकर वैसे भी कुछ इंच दूर तो रहेंगे ही। ज्यादा गर्मी के कारण दम घुटने लगे तो थोड़ा किनारे होकर कुछ देर के लिए मास्क उतार कर पुन पहन सकते हैं। नाक पर मास्क चढ़ा कर रखेंगे तभी नाक बचेगी लेकिन सिर्फ मुंह पर लटकाए रखने से अधर में लटक सकते हैं। महिलाओं ने तो मैचिंग मास्क फिर से निकाल लिए हैं। अब तो खराब न होने वाली लिपस्टिक मिल रही होगी। पारदर्शी मास्क तो आ ही गए थे। दुनिया किसी भी काम करने में लेट लतीफ़ हो लेकिन ऐसे आविष्कार करने में चुस्त है।
किसी नेता या अफसर से मिलना हुआ, वह आपके मास्क लगाने की तारीफ़ करेंगे, चाहे उन्होंने खुद न लगाया हो। दूसरों को बताएंगे कि हमारे यहां कोविड प्रोटोकोल का पालन सख्ती से हो रहा है। बेचारे अनुशासन ने ज़िंदगी और इंसान को हमेशा बचाया है। मास्क रहेगा तो व्यक्ति फ़ालतू बातें कुछ तो कम करेगा ही। सोच समझकर बोलने की आदत पड़ सकती है जो चरित्र निर्माण में काम आएगी।
आइए मिलकर मास्कजी का स्वागत करें।
- संतोष उत्सुक