By अभिनय आकाश | Nov 08, 2024
ब्रिटेन के मशहूर लेखर सलमान रुश्दी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने लेखक सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' के इंपोर्ट पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा 1988 में लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है। ऐसा तब हुआ जब सीबीआईसी 5 अक्टूबर, 1988 की प्रतिबंध की उक्त अधिसूचना को प्रस्तुत करने में विफल रही और पीठ के समक्ष स्वीकार किया कि यह अप्राप्त है। कोर्ट ने कहा कि 1988 में जारी हुआ बैन नोटिफिकेशन अधिकारी पेश नहीं कर पाए। ऐसे में यह मानना होगा कि ऐसा कोई नोटिफिकेशन है ही नहीं। याचिका को निरर्थक घोषित करते हुए, 5 नवंबर को जस्टिस रेखा पल्ली और सौरभ बनर्जी की पीठ ने आदेश दिया कि उसके पास ये मानने के अलावा कि ऐसी कोई अधिसूचना मौजूद नहीं है कोई अन्य विकल्प नहीं है।
याचिकाकर्ता संदीपन खान की ओर से पेश वकील उद्यम मुखर्जी ने पुस्तक पर प्रतिबंध लगने के कारण उसे आयात करने में असमर्थ होने के बाद 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। विभिन्न पुस्तक दुकानों द्वारा उन्हें यह भी बताया गया कि पुस्तक को भारत में बेचने की अनुमति नहीं है और उक्त पुस्तक भारत में प्रकाशित नहीं हुई है। रुश्दी की पुस्तक 1988 में लंदन स्थित वाइकिंग/पेंगुइन ग्रुप द्वारा जारी की गई थी और पुस्तक प्रेमी होने का दावा करने वाले खान ने कहा था कि सीबीआईसी की अधिसूचना के कारण इसे भारतीय पाठकों तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी गई थी।
गौरतलब है कि राजीव गांधी सरकार ने 1988 में कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए बुकर पुरस्कार विजेता लेखक की बुक के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। खान ने अपनी याचिका में भारत में पुस्तक के आयात पर प्रतिबंध लगाने वाली सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत जारी अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित करने और इसे रद्द करने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की। खान ने यह भी मांग की कि अदालत यह घोषणा करे कि वह पुस्तक को उसके प्रकाशक/अंतर्राष्ट्रीय पुनर्विक्रेता या भारतीय या अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स वेबसाइटों से आयात करने के लिए आगे बढ़ सकता है और ऐसी कार्रवाई से सीबीआईसी की अधिसूचना का उल्लंघन नहीं होगा।