By अनन्या मिश्रा | Apr 17, 2025
आज ही के दिन यानी की 17 अप्रैल को देश के पहले उपराष्ट्रपति और दार्शनिक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हो गया था। उन्होंने पूरी दुनिया को भारत के दर्शन शास्त्र से परिचय कराया था। वह देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। बता दें कि 10 सालों तक बतौर उपराष्ट्रपति जिम्मेदारी संभालने के बाद 13 मई 1962 को राधाकृष्णन को देश का दूसरा राष्ट्रपति बनाया गया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के चित्तूर जिले के तिरुत्तनी गांव में 05 सितंबर 1888 को सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। वह एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सीताम्मा था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति से पूरी की और फिर साल 1902 में उन्होंने मैट्रिक स्तर की परीक्षा पास की। फिर साल 1905 में उन्होंने कला संकाय की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। इसके बाद साल 1918 में राधाकृष्णन ने मैसूर महाविद्यालय में दर्शन शास्त्र का सहायक प्रध्यापक नियुक्त किया गया।
बचपन में देखा था संघर्ष
सर्वपल्ली राधाकृष्णन बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। वह इतने गरीब थे कि उनको केले के पत्तों पर भोजन करना पड़ा था। एक बार उनके पास केले के पत्तों को खरीदने के पैसे नहीं थे। तब उन्होंने जमीन को साफ करने के बाद उस पर ही भोजन कर लिया था।
राजनीति
बता दें कि साल 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले पीएम बनें। इस दौरान नेहरू ने डॉ. राधाकृष्णन से सोवियत संघ में राजदूत के तौर पर काम करने का अनुरोध किया। इस बात को मानते हुए सर्वपल्ली साल 1947 से 1949 तक संविधान संभा के सदस्य के रूप में काम किया। फिर साल 1952 तक वह रूस में भारत के राजदूत बनकर रहे। इसके बाद वह 13 मई 1952 को देश के पहले उपराष्ट्रपति बने। वहीं साल 1953 से लेकर 1962 तक वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे।
मृत्यु
डॉ. राधाकृष्णन का 17 अप्रैल 1975 को निधन हो गया था। उनको एक आदर्श शिक्षक और दार्शनिक के रूप में जाना जाता है। वहीं साल 1975 में मरणोपरांत अमेरिका सरकार ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को टेम्पल्टन पुरस्कार से सम्मानित किया था।