नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद अब बारी सरकार-2 के गठन की है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में 30 मई को शपथ लेंगे। राष्ट्रपति भवन के अनुसार 30 मई को शाम सात बजे नरेंद्र मोदी शपथ लेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह को भव्य के साथ-साथ ताकतवर बनाने की तैयारी है। जिसके तहत बिम्सटेक के नेता दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता के शपथ के साक्षी बनेंगे। पड़ोसी पहले की सोच के साथ इन देशों को बुलाया गया है। पाकिस्तान को इस बार शपथ ग्रहण में शामिल होने का निमंत्रण नहीं भेजा गया है। नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने वाले देशों में बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, भूटान शामिल है। बता दें कि पांच साल पहले 26 मई 2014 को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में शामिल पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव को आमंत्रित किया गया था। इस बार इसकी भव्यता अलग दिखे इस लिहाजे से बिम्सटेक में शामिल देशों को आमंत्रित किया गया है।
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बिम्सटेक क्या है और कैसे काम करता है
बिम्सटेक का पूरा नाम बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकॉनमिक को-ऑपरेशन है और इस संगठन बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीप देशों का एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन है। इस संगठन में भारत समेत बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड जैसे 7 देश शामिल हैं। बिम्सटेक का मुख्यालय ढाका, बांग्लादेश में है। बिम्सटेक व्यापार, निवेश, ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, तकनीक समेत 14 क्षेत्रों में काम करता है।
बिम्सटेक की अहमियत
बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी देशों के बीच की दूरी को पाटने का काम करता है। इसमें शामिल सभी देशों के बीय यह संगठन एक ब्रिज की तरह काम करता है। इस समूह में दो देश दक्षिणपूर्वी एशिया के हैं। म्यांमार और थाईलैंड भारत को दक्षिण पूर्वी इलाकों से जोड़ने के लिए बेहद अहम है। इससे भारत के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। बिम्सटेक का गठन 6 जून, 1997 को किया गया था। उस वक्त इसका नाम बिस्टेक था लेकिन बाद में मल्टी सेक्टोरल जुड़ने से 1998 में यह बिम्सटेक हो गया।