By एकता | Apr 20, 2025
ठाकरे बंधुओं के फिर से एक होने की खबर ने महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। दरअसल, एक पॉडकास्ट में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि उनके पिछले मतभेद 'मामूली' हैं और 'मराठी मानुष' के व्यापक हित के लिए एकजुट होना कोई मुश्किल काम नहीं है। राज के इस बयान का उद्धव ने समर्थन किया, जिसके बाद दोनों नेताओं के बीच सुलह की खबरें आने लगीं। हालांकि संजय राउत ने गठबंधन की बात से इनकार किया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर हम साथ आएंगे।
ठाकरे बंधुओं के साथ आने की वजह क्या है?
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला किया। क्षेत्रीय दलों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने भी एक स्वर में राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध किया, जिसके बाद साथ आने की मुहिम तेज हो गई।
उद्धव के साथ सुलह पर क्या बोले राज?
अभिनेता-निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ राज ठाकरे का एक ‘पोडकास्ट’ जारी हुआ। इसमें राज ने कहा कि जब वह अविभाजित शिवसेना में थे, तब उन्हें उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी। राज ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख ने कहा, 'एक बड़े उद्देश्य के लिए, हमारे झगड़े और मुद्दे मामूली हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है। महाराष्ट्र के लिए, मराठी मानुष के अस्तित्व के लिए, ये झगड़े बहुत तुच्छ हैं। मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना और एकजुट रहना कोई मुश्किल काम है। लेकिन ये इच्छाशक्ति पर निर्भर है।'
जब राज से पूछा गया कि क्या दोनों चचेरे भाई राजनीतिक रूप से एक साथ आ सकते हैं, तो उन्होंने कहा, 'यह मेरी इच्छा या स्वार्थ का सवाल नहीं है। हमें व्यापक तौर पर चीजों को देखने की जरूरत है। सभी महाराष्ट्रवासियों को एक पार्टी बनानी चाहिए।' राज ने इस बात पर जोर दिया कि अहंकार को मामूली मुद्दों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
राज के बयान पर उद्धव की प्रतिक्रिया
राज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ने शिवसेना (उबाठा) कार्यकर्ताओं से कहा, 'मैं भी मामूली मुद्दों को किनारे रखने के लिए तैयार हूं और मैं सभी से मराठी मानुष के लिए एक साथ आने की अपील करता हूं।' उद्धव ने अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम में मनसे अध्यक्ष का नाम लिए बगैर कहा कि अगर महाराष्ट्र के निवेश और कारोबार को गुजरात में स्थानांतरित करने का विरोध किया गया होता, तो दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के हितों का ख्याल रखने वाली सरकार बनती।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'ऐसा नहीं हो सकता कि आप (लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का) समर्थन करें, फिर (विधानसभा चुनाव के दौरान) विरोध करें और फिर समझौता कर लें। ऐसे नहीं चल सकता। ' शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष ने कहा, 'पहले यह तय करें कि जो भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करेगा, उसका घर में स्वागत नहीं किया जाएगा। आप उनके घर जाकर रोटी नहीं खाएंगे। फिर महाराष्ट्र के हितों की बात करें।'
संजय राउत ने कहा, कोई औपचारिक गठबंधन नहीं
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, 'अभी तक (मनसे और शिवसेना-यूबीटी के बीच) कोई गठबंधन नहीं है, केवल भावनात्मक बातचीत चल रही है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे भाई हैं। हम सालों से साथ हैं। हमारा रिश्ता नहीं टूटा है। (गठबंधन के बारे में) दोनों भाई फैसला करेंगे। हमने उद्धव जी की बात मान ली है: महाराष्ट्र के लिए, अगर हमें (मनसे और शिवसेना-यूबीटी) साथ आने की जरूरत पड़ी, तो हम साथ आएंगे। उद्धव जी ने कभी किसी नियम और शर्तों के बारे में बात नहीं की। उद्धव जी ने कहा कि कुछ दल हैं जो महाराष्ट्र के हितैषी होने का दावा करते हैं, लेकिन वे महाराष्ट्र के दुश्मन हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के गौरव पर हमला करने के लिए बालासाहेब की शिवसेना को तोड़ा और ऐसी पार्टियों से हमें कोई संबंध नहीं रखना चाहिए, तभी हम सच्चे महाराष्ट्रियन हो सकते हैं और यह कोई शर्त नहीं बल्कि महाराष्ट्र के लोगों की भावनाएं हैं और यही उद्धव जी ने कहा है।'