By अभिनय आकाश | Apr 11, 2025
26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। जांच में शामिल मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि राणा ने सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली को भारतीय वीजा दिलाने में मदद की थी, जिसका इस्तेमाल 2008 के घातक हमलों से पहले जासूसी करने के लिए किया गया था। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की खबर आने के साथ ही इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि उसे कौन सी सजा सुनाई जाएगी। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा कि मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सरकार बिहार चुनाव के दौरान ऐसा करेगी।
संजय राउत ने क्या दावा किया
राणा को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए लेकिन उसे बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान फांसी दी जाएगी। राउत ने कहा कि राणा को भारत लाने के लिए 16 साल से लड़ाई चल रही थी और यह कांग्रेस के शासन के दौरान शुरू हुई थी। उन्होंने कहा, इसलिए राणा को वापस लाने का श्रेय किसी को नहीं लेना चाहिए। राउत ने कहा कि राणा भारत प्रत्यर्पित होने वाला पहला आरोपी नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट के आरोपी अबू सलेम को भी भारत प्रत्यर्पित किया गया था। उन्होंने यह भी मांग की कि आर्थिक भगोड़े नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पित किया जाए।
भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि
अमेरिका के साथ हुए प्रत्यर्पण समझौते के तहत तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है. इस समझौते के अनुच्छेद-आठ की धारा-1 के मुताबिक जिस मामले में प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है, अगर उसमें प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश में मौत की सजा का प्रावधान है और जिस देश से प्रत्यर्पित किया जाना है उसमें मौत की सजा का प्रावधान नहीं है तो प्रत्यर्पण की अपील खारिज की जा सकती है
भारत में मुकदमा मगर सजा कहां मिलेगा?
तहव्वुर राणा को अमेरिका से लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद भारत लाया गया है। 2008 मुंबई हमले में उसकी भूमिका की डांच एनआईए कर रही है। उस पर देशद्रोह हत्या, जालसाजी और यूएपीए की गंभीर धाराएं है। कानूनी जानकारी के मुताबिक, अगर भारत ने अमेरिकी कोर्ट को कोई अंडरटेकिंग दी है। तो सजा उसी के मुताबिक तय होगी। विदेश से आरोपों को लाने के दो तरीके होते है डिपार्टशन और प्रत्यर्पण। डिपोटेंशन प्रशासनिक प्रक्रिया है, जबकि प्रत्यर्पण में भारत संबंधित देश को सबूत, वॉरंट और जरूरी दस्तावेजों के साथ आधिकारिक फाइल भेजता है। वहां अदालत सुनवाई के बाद अनुमति देती है। राणा को लाने में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई।
प्रत्यर्पण की सुनवाई वाली कोर्ट तय करती है कि क्या सजा हो?
प्रत्यर्पण मामलों में कोर्ट अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है, जो तय करती है कि आरोपी को भेजा जाए या नहीं। तहब्दुर राणा पर देशद्रोह और हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं। यदि भारत ने अमेरिका को सजा को लेकर अंडरटेकिंग दी है, तो राणा को वही सजा दी जाएगी, वरना भारतीय कोर्ट सजा तय करेगा। भारत सरकार की अंडरटेकिंग अहम है साथ ही जिस मामले में भारत में ट्रायल चलेगा, उस मामले में अमेरिका में अधिकतम कितनी सजा है यह भी देखने वाली बात है, जो अंडरटेकिंग दी होगी उसी हिसाब से सजा होगी।