By अंकित सिंह | Nov 17, 2022
देश में तीन कृषि कानूनों को लेकर लगभग 1 साल तक किसानों का आंदोलन चला था। दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के अंतर्गत विभिन्न राज्यों के किसानों ने आंदोलन किया था। हालांकि, पिछले साल गुरु नानक जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का ऐलान किया था जिसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के रुख में थोड़ी नरमी आई। सरकार ने उनकी मांगों को लेकर आश्वासन भी दिया था। हालांकि, अब किसान मोर्चा का यह दावा है कि आश्वासन मिलने के बाद भी हमारी मांगे पूरी नहीं हुई है। इसी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 26 नवंबर को पूरे देश में राज भवन उत्तर मार्ग निकालेगा। इतना ही नहीं, 19 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से ‘फतह दिवस’ मनाया जाएगा।
अपने बयान में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 19 नवंबर को ‘फतह दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि पिछले साल इसी दिन केन्द्र सरकार ने विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का आदेश दिया था। इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि एक से 11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दल के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के कार्यालयों तक मार्च करेंगे। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि किसान आंदोलन के अगले चरण पर फैसला करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक आठ दिसंबर को करनाल में होगी। इससे पहले भी एसकेएम ने बयान जारी कर कहा था कि बैठक में फैसला किया गया कि एसकेएम किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष के दो साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर को बड़े पैमाने पर राजभवनों तक किसान मार्च निकालेगा।
वहीं, राकेश टिकैत ने कहा था कि आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार की ओर से कई बड़े वादे किए गए थे। लेकिन सरकार ने जो भी वादा किया, वह आज तक पूरा नहीं हो पाया है। यही कारण है कि हम फिर से आंदोलन करने को विवश हुए हैं। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के साथ तैयारी में लगा हुआ है और योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। गौरतलब है कि हजारों की संख्या में किसानों ने नवंबर 2020 में केंद्र से वर्ष 2019 में पारित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली का घेराव किया था। इनमें से अधिकतर किसान पंजाब और हरियाणा के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को वापस ले लिया था।