समाजवाद में राष्ट्रवाद का तड़का लगाकर अपनी राजनीति चमकाएंगे अखिलेश

By अजय कुमार | Aug 01, 2022

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी से मुकाबले के लिए अपनी रणनीति बदल दी है। वह कांटे से कांटा निकालने की तैयारी में हैं। सपा को समझ में आ गया है कि यदि बीजेपी भावात्मक मुद्दों को हवा देकर आगे बढ़ सकती है तो समाजवादी पार्टी क्यों नहीं। इसी के बाद सपा ने भी राष्ट्रवाद का मुखौटा लगाने का मन बना लिया है। सपा जो लगातार भावनात्मक मुद्दों पर मात खा रही है, अब वह इन्हीं मुद्दों पर आगे बढ़ने की मुहिम में जुट गई है। यानी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से बाहर निकल कर सपा अब अपने समाजवाद में राष्ट्रवाद का तड़का लगाने जा रही है। इसके पहले चरण में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में समाजवादी पार्टी ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में बढ़-चढ़ कर शामिल होगी। इसके जरिए वह खुद को बड़ी देशभक्त पार्टी के तौर पर पेश करेगी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव यदि ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं तो यह उनके और उनकी पार्टी के लिए बड़ी कामयाबी होगी क्योंकि भाजपा को भावात्मक मुद्दे पर घेरना ज्यादा आसान है। यह काम फिलहाल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बखूबी कर रहे हैं। इसी वजह से भाजपा उन्हें पछाड़ नहीं पा रही है।


दरअसल, मोदी सरकार देश भर में हर घर तिरंगा अभियान जोर शोर से चला रही है। यूपी में इसकी जबरदस्त तैयारियां योगी सरकार कर रही है तो विपक्ष के सबसे बड़े दल के नेता अखिलेश यादव ने भी अब अपने कार्यकर्ताओं से अपने अपने घरों में सम्मान के साथ तिरंगा फहराने की अपील की है। विपक्षी दलों में सपा पहली पार्टी है जो बीजेपी की हर घर तिरंगा मुहिम में खुल कर समर्थन में आई है जबकि बाकी विपक्षी दलों ने इस पर अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। सपा ने बकायदा निर्देश जारी किए हैं कि सभी कार्यकर्ता 9 से 15 अगस्त तक अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहरायें। पार्टी का कहना है कि भारत छोड़ो आंदोलन में समाजवादियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। सियासी बात की जाए तो भाजपा ने हिंदुत्व व राष्ट्रवाद के मुद्दे पर सपा को घेरते हुए आतंकवादियों का मुद्दा खूब उछाला था। भाजपा आरोप लगाती रहती है कि सपा राज में आतंकी गतिविधियों व दंगों में शामिल होने वालों पर मुकदमे वापस लिए गए। यही नहीं ऐसे लोगों की पिछले शासन में खास ख्याल रखा गया। सपा इन सबसे इंकार करती रही है। चुनाव में यह मुद्दा गर्माने पर वोटों का ध्रुवीकरण भी खूब हुआ उसमें भाजपा को ज्यादा फायदा हुआ।

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उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी और भाजपा में तिरंगा यात्रा को लेकर रार और जुबानी जंग शुरू हो गई है। भाजपा नेता और प्रवक्ता मनीष शुक्ला का कहना है कि ये अच्छी बात है कि सारे दल तिरंगे का सम्मान कर रहे हैं और इस तरह के अभियान शुरू कर रहे हैं। भाजपा की जननीतियों ने मजबूर तो कर दिया कि जो दल तुष्टीकरण की बात करते थे वो अब राष्ट्रवाद की बातें कर रहे हैं। सैफई महोत्सव कराने वाले तिरंगा लेकर चल रहे हैं, ये अच्छी बात है, योगी और मोदी की अन्य अच्छी बातों का भी अनुसरण करना चाहिए। साथ ही आतंकवादियों के हितैषी ना बनकर ऐसे लोगों से दूर भी रहना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी अच्छी बातों का हमेशा स्वागत करती है।


उधर, सपा नेता और प्रवक्ता राजीव राय कहते हैं कि समाजवादी पार्टी ने हर घर तिरंगा यात्रा की 9 अगस्त से करने की शुरुआत इसलिए की है क्योंकि 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी। आरएसएस ने उस वक्त तिरंगे का अपमान किया था, भाजपा को क्या मालूम कि तिरंगे की शान क्या होती है? समाजवादी पार्टी शुरू से ही राष्ट्र के हित में सोचती आई है और जब जब मौका मिला सपा ने देश को सबसे आगे रखा है निजी हितों को पीछे रखा है। भाजपा के लोग ये फैला रहे हैं कि समाजवादी पार्टी ने भाजपा का मुद्दा चुरा लिया है, ये बात सरासर गलत है। तिरंगा जितना उनका है उतना ही हमारा है और प्रत्येक देशवासी का है। हमें ऐसे लोगों से जो अंग्रेजों से पेंशन लेते रहे, सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।


उत्तर प्रदेश में तिरंगा यात्रा को लेकर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच जो बढ़त बनाने की दौड़ लगी है, वह अप्रत्याशित नहीं है। बीजेपी की यूपी ही नहीं दिल्ली की राजनीति भी यूपी से ही केन्द्रित हो रही है।  25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से प्रधानमंत्री सांसद हैं। ऐसे में हर घर तिरंगा अभियान यूपी के लिए काफी महत्वपूर्ण बन जाता है। सारे विपक्षी दलों को लगता है कि भाजपा इस अभियान के जरिए राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जनता का दिल जीत लेगी और 2024 के लोकसभा चुनावों में इसे मुद्दे के तौर पर भुनाएगी। इसलिए तिरंगा यात्रा को लेकर सभी राजनीति दलों में होड़ मची है।

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उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी घोषणा की है कि 4 अगस्त को दिल्ली में दुनिया का सबसे बड़ा झंडा बनाया जाएगा, इस झंडे को स्कूली बच्चों की मदद से दिल्ली सरकार बनावाएगी, जबकि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि सारा देश जानता है कि कांग्रेस पार्टी का देश की स्वतंत्रता में कितना बड़ा योगदान रहा है इसलिए हमें इस तरह के इंवेट मैनेजमेंट की जरूरत नहीं है।


बहरहाल, तिरंगा यात्रा से राजनैतिक फायदा किसको मिलेगा यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इससे कारोबारियों की बल्ले-बल्ले हो सकती है। केंद्र सरकार की हर घर तिरंगा अभियान के पीछे मंशा सिर्फ इतनी है कि देश का हर नागरिक व्यक्तिगत रूप से उस लम्हे को महसूस कर सके, लेकिन खुद को बड़ा राष्ट्रभक्त साबित करने की होड़ में सभी दल उस भावना के साथ खेलने में लग गए हैं। हर घर तिरंगा अभियान के चलते देश में तिरंगे की मांग ने भी तेजी पकड़ ली है। इस अभियान के लिए अलग-अलग आकार के करीब 25 करोड़ तिरंगों की जरूरत पड़ेगी।


व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि पूरे देश में करीब 4-4.50 करोड़ तिरंगे ही फिलहाल उपलब्ध होंगे। हर घर तिरंगा यात्रा के लिए करीब 25 करोड़ तिरंगों की जरूरत होगी। आपको बता दें कि इस अभियान के लिए तीन प्रकार के तिरंगे प्रयोग में लाए जाएंगे और इनकी कीमत भी 10 रुपये से लेकर 150 रुपये तक होगी। मुख्य रूप से तीन आकार के झंडे तैयार किए जा रहे हैं। एक आकार 20 गुणे 30, दूसरा आकार 16 गुणे 24, तीसरा 6 गुणे 9 का हो सकता है।


इतना ही नहीं केंद्र सरकार के आदेशानुसार कपड़ा मंत्रालय तिरंगा बनाने वालों को ज्यादा मात्रा में कपड़ा उपलब्ध कराएगा साथ ही सब्सिडी भी दी जाएगी। इसके अलावा केंद्र और राज्य के खादी और ग्रामोद्योग विभाग भी भारी मात्रा में खादी के तिरंगा झंडे बनाएंगे और कंपनियां सीएसआर फंड का इस्तेमाल झंडों की खरीद में कर सकती हैं। कॉरपोरेट घराने अपने कर्मचारियों को मुफ्त में झंडे देंगे ताकि वो अपने घरों पर उसे फहरा सकें। चूंकि ये अभियान पूरे देश में चलाया जा रहा है ऐसे में झंडों की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है जिसको देखते हुए मैन मेड पालिस्टर झंडा बनाने की इजाजत भी दी गई है। साथ ही भारत ध्वज संहिता में कुछ बदलाव भी किए गए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस अभियान से जुड़ सकें। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 15 दिनों में हर घर तिरंगा अभियान के तहत झंडों का करीब 200 करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है, जिसका फायदा लघु और कुटीर उद्योग व्यापारियों को होगा, जो किसी भी लिहाज से बुरा नहीं है।


-अजय कुमार

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