By अभिनय आकाश | Aug 03, 2022
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के अलग होने के बाद शिवसेना पर किसका हक है इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। शिंदे सरकार के गठन से जुड़े सभी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। उद्धव ठाकरे के शिवसेना धड़े ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले पार्टी के समूह पर "अपने पार्टी विरोधी रुख को सही ठहराने के लिए एक नकली नैरेटिव बनाने का आरोप लगाया है। टीम ठाकरे की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि मूल दल से अलग होना भी एक 'स्थिति' माना जाता है। प्रत्येक स्थिति के लिए कानून हैं और कानून कहता हैं कि उन्हें केवल एक अलग समूह के रूप में मान्यता दी जाएगी, लेकिन एक पार्टी के रूप में नहीं। लेकिन वे (टीम शिंदे) दावा करते हैं कि वे राजनीतिक दल हैं, जो सच नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग (चुनाव आयोग) के समक्ष यह बयान दिया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर 100 में से 70 विधायक कहते हैं कि वे खुद पार्टी हैं, तो उन्हें चुनाव आयोग में पंजीकरण कराना होगा या स्पीकर के पास जाना होगा?
जवाब में टीम ठाकरे ने कहा कि यदि वे एक नई पार्टी बनाते हैं तो उन्हें चुनाव आयोग (चुनाव आयोग) के साथ पंजीकरण करना होता है, लेकिन अगर वे किसी अन्य पार्टी में विलय करते हैं तो कोई पंजीकरण नहीं होता है। उद्धव कैंप की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कानूनों की आवश्यकता है कि वे (शिवसेना गुट) विलय कर लें या एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन करें। कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर 2 तिहाई विधायक अलग होना चाहते हैं तो उन्हें किसी के साथ विलय करना होगा या नई पार्टी बनानी होगी। वह यह नहीं कह सकते कि वहीं मूल पार्टी हैं। वह मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। आज भी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं।
शिंदे पक्ष की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जिस नेता को बहुमत का समर्थन ही नहीं है, वो भला कैसे बना रह सकता है? शिवसेना के अंदर ही कई बदलाव हो चुके हैं। सिब्बल ने जो बातें कहीं हैं, वो प्रासंगिक नहीं हैं। किसने इन विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया। साल्वे ने कहा कि जब पार्टी में अंदरूनी बंटवारा हो चुका हो तो दूसरे गुट की बैठक में न जाना अयोग्यता कैसे हो गया? साल्वे ने कहा कि हमारे यहां एक भ्रम है कि किसी नेता को ही पूरी पार्टी मान लिया जाता है। हम अभी भी पार्टी में हैं। हमने पार्टी नहीं छोड़ी है।