संतों और श्रद्धालुओं ने योगी को बताया सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक

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By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 14, 2025

संतों और श्रद्धालुओं ने योगी को बताया सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 को इस बार भव्य और दिव्य के साथ-साथ नव्य भी है और वो इसलिए, क्योंकि पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुगलकालीन परंपरा को तोड़ते हुए शाही स्नान समेत कई अन्य कार्यक्रमों को सनातन से जोड़ते हुए नया नाम दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस कदम की महाकुम्भ में हर कोई प्रशंसा कर रहा है। साधु संतों समेत आम श्रद्धालुओं ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक करार दिया। 


भारतीय परंपरा और संस्कृति को वैश्विक मंच मिला 

अयोध्या के श्री राम वैदेही मंदिर के महंत स्वामी दिलीप दास त्यागी जी महाराज ने मकर संक्रांति का अमृत स्नान करने के बाद कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमारी सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है। महाकुम्भ 2025 ने गुलामी के प्रतीक शब्दों से छुटकारा दिलाकर सनातन संस्कृति को नई पहचान दी है। इस बार अमृत स्नान का दिव्य और भव्य अनुभव ऐतिहासिक साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि "शाही स्नान" और "पेशवाई" जैसे मुगलकालीन शब्दों को हटाकर "अमृत स्नान" और "छावनी प्रवेश" जैसे सनातनी शब्दों को शामिल करना सनातन संस्कृति को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम है। आज यह आयोजन भारतीय परंपराओं और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर रहा है।

 

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महाकुम्भ में परंपरा और संस्कृति का जुड़ा नया अध्याय

महाकुम्भ 2025 इस बार सांस्कृतिक और परंपरागत बदलावों का गवाह बना। 144 साल बाद पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग इस आयोजन को और भी खास बनाता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि यह पहली बार है जब महाकुम्भ में उर्दू शब्दों को बदलकर हिंदी और सनातनी शब्दों का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा, "यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया गया था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। अब 'शाही स्नान' और 'पेशवाई' जैसे शब्द इतिहास बन गए हैं और उनकी जगह 'अमृत स्नान' और 'छावनी प्रवेश' ने ले ली है।"

 

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अमृत स्नान बना पवित्र अवसरों का संगम

महाकुंभ 2025 में कुल 6 प्रमुख स्नान पर्व आयोजित किए जाएंगे, जिसमें तीन अमृत स्नान होंगे। सभी स्नान पर्वों और अमृत स्नान के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर करोड़ों श्रद्धालु इन आस्था की डुबकी लगाएंगे। यह पवित्र स्नान पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।

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