By अनन्या मिश्रा | Mar 08, 2024
आज ही के दिन यानी 08 मार्च फेमस शायर-गीतकार साहिर लुधियानवी का जन्म हुआ था। उनकी शायरी और गीत आज भी लोग उतना ही पसंद करते हैं। साहिर लुधियानवी की शायरियों में अधूरी मोहब्बत का दर्द देखने को देखने को मिलता है। जुल्मों और गैर-बराबरी के खिलाफ भी उन्होंने अपने गीत और शायरियों के माध्यम से अपनी आवाज को बुलंद करने का काम किया था। वह शब्दों के सच्चे जादूगर थे। उन्होंने इश्क पर भी खूब लिखा था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर साहिर लुधियानवी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
लुधियाना के एक जागीरदार घराने में 08 मार्च 1921 साहिर लुधियानवी का जन्म हुआ था। उनके पिता बेहद अमीर थे। लेकिन पेरेंट्स के अलग होने के बाद उन्होंने अपनी मां के साथ गरीबी में रहना पसंद किया। साहिर लुधियानवी ने खालसा हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद 1939 में वह कॉलेज के दिनों में अमृता प्रीतम से दिल लगा बैठे। लेकिन अमृता के घरवालों को उनका रिश्ता मंजूर नहीं था। क्योंकि साहिर लुधियानवी मुस्लिम थे और गरीब थे। अमृता के पिता के कहने पर लुधियानवी को कॉलेज से निकाल दिया गया था। साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम के प्यार के किस्से आज भी फेमस हैं। लेकिन दोनों का प्यार मुकम्मल नहीं हो पाया था।
पाकिस्तान सरकार ने जारी किया वारंट
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जीविका चलाने के लिए साहिर लुधियानवी ने कई छोटी-मोटी नौकरियां की। वहीं साल 1943 में वह लाहौर आ गए। इसी साल उन्होंने अपनी पहली कविता संग्रह 'तल्खियां' छपवाईं। जिसके बाद उनको शोहरत मिलना शुरू हो गई। इसके बाद वह फेमस पत्र अदब-ए-लतीफ और शाहकार के साल 1945 में संपादक बनें। फिर बाद में वह पत्रिका सवेरा के भी संपादक बनें। इस पत्रिका में साहिर लुधियानवी की किसी रचना को सरकार के खिलाफ समझ लिया गया। जिसकी वजह से पाकिस्तान सरकार ने साहिर लुधियानवी के खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया।
फिल्मों में गीत और शायरी
लाहौर से आने के बाद साहिर लुधियानवी कुछ समय के लिए दिल्ली आ गए। इस दौरान साल 1949 में उन्होंने फिल्म 'आजादी की राह' के लिए पहली बार गीत लिखे। इसके बाद फिल्म 'नौजवान' में उनके द्वारा लिखा गया गीत 'ठंडी हवाएं लहरा के आएं' काफी ज्यादा फेमस हुआ। फिर उन्होंने 'प्यासा', 'फिर सुबह होगी', 'बाजी', 'कभी कभी' जैसी फेमस फिल्मों के लिए गीत लिखे थे। इन फिल्मों के गाने में उनका खुद का व्यक्तित्व भी झलकता है।
बता दें कि वह पहले ऐसे गीतकार थे, जिनको उनके गानों के लिए रॉयल्टी मिलती थी। सचिनदेव बर्मन, शंकर जयकिशन, खय्याम और एन. दत्ता आदि संगीतकारों ने लुधियानवी के गीतों की धुनें बनाईं। उनकी तमाम कोशिशों के बाद ही संभव हो पाया कि आकाशवाणी पर संगीत प्रसारण के दौरान संगीतकार और गायक के अलावा गीतकारों के नाम का भी जिक्र किया जाता था।