सचिन पायलट का दावा, क्षेत्रीय दल महत्वपूर्ण हैं, लेकिन केवल कांग्रेस ही राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को दे सकती है चुनौती

By प्रेस विज्ञप्ति | Jan 27, 2024

नई दिल्ली। इन खबरों के बीच कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द ही बीजेपी के खेमे में शामिल हो सकते हैं, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कहा है कि उन्हें अब भी पूरी उम्मीद है कि सीटों के बंटवारे को 'बहुत जल्द' अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सचिन पालयट रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में सवालों के जवाब दे रहे थे। 

 

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सचिन पायलट से जब यह पूछा गया कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो पायलट ने जवाब दिया: 'जहां तक सीट शेयरिंग की बात है तो हर क्षेत्रीय पार्टी का महत्व है। चाहे वह बंगाल हो, महाराष्ट्र, बिहार या पंजाब हो, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अगर भाजपा को कोई चुनौती दे सकता है तो वह नेशनल कांग्रेस पार्टी है। हम सब समझते हैं कि हमको कुछ ना कुछ करना पड़ेगा। सीट शेयरिंग के लिए हम तैयार हैं क्योंकि जम्हूरियत के लिए, लोकतंत्र के लिए यह चुनाव जीतना जरूरी है। एक मजबूत विपक्ष ही लोकतंत्र को चला सकता है। इसलिए 'इंडिया' का जो हमारा गठबंधन हुआ है वह मुद्दों को लेकर हुआ है और बहुत जल्द सारे मामलों को सुलझा करके हम लोग सीट शेयरिंग कर लेंगे।"


रजत शर्मा: लेकिन समय कम बचा है और अभी यह तय नहीं हो पाया कि इस अलायंस का संयोजक कौन होगा? प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा?


सचिन पायलट : 'बहुत पहले निर्णय लिया गया था कि हम किसी पद की महत्वकांक्षा रखते हुए नेतागिरी नहीं करेंगे।  कौन किस पद पर बैठेगा, इस बात का निर्णय समय पर लिया जाएगा। पहला उद्देश्य है कि हम एकजुटता बनाएं। यह आसान नहीं है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि इतने सारे दल हैं, अलग-अलग पृष्ठभूमि है, लोगों के सोचने का तरीका अलग-अलग है। कई बार हम आपस में लड़ते भी हैं, एक दूसरे के सामने। आप कल्पना कीजिए इतने बड़े देश में अलग-अलग पार्टी को साथ लेकर आना और स्मूथली उसको आगे ले जाना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन सबको लगा कि यह एकजुटता और एकता जरूरी है। इसलिए इंडिया अलायंस का गठन हुआ और मुझे लग रहा है कि इंडिया अलायंस  के गठन से विपक्ष की जो एकता है वह अगर मजबूती से आगे बढ़ती है तो एनडीए के साथ एक अच्छा चुनावी मुकाबला होगा। और यह मत भूलिए कि एनडीए के जो पार्टनर थे अकाली दल, शिवसेना, जेडीयू, सब बीजेपी को छोड़कर चले गए। अब बीजेपी को लगता है कि अपने दम पर पूरा मैदान फतह कर लेंगे तो लोकसभा चुनाव में पता चल जाएगा।'


ममता बनर्जी की इस टिप्पणी पर कि कांग्रेस को वामपंथियों द्वारा चलाया जा रहा है जिसके खिलाफ उन्होंने 34 वर्षों तक लड़ाई लड़ी, सचिन पायलट ने कहा: 'मैं उनकी बात से सहमत नहीं हूं। ममता जी बड़ी सम्मानित नेता हैं और कई बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। उनका बंगाल के अंदर एक अलग स्ट्रक्चर है। इंडिया अलायंस में सबकी बराबर की हिस्सेदारी है। बंगाल में सीट शेयरिंग कैसे होगा, उस पर चर्चा कर रहे हैं। परिणाम बहुत जल्द निकलेगा। लेकिन जो उद्देश्य है कि इंडिया अलायंस के जो सहयोगी हैं, आप उन सभी पार्टियों का वोट अगर जोड़ेंगे तो 60 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिला। और जो एनडीए के पार्टनर थे उनको 35 प्रतिशत से कम वोट मिला था। तो भाजपा को यह चिंता है कि अगर इंडिया अलायंस के सारे सहयोगी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो कुछ भी हो सकता है। इसलिए वे इंडिया अलायंस की यूनिटी से ज्यादा चिंतित हैं। "


रजत शर्मा ने जब यह पूछा कि पिछले 9 साल से राहुल गांधी अडानी का नाम ले रहे हैं। वह कहते हैं कि मोदी जी ने अडानी जी को एयरपोर्ट दे दिए, उनको जमीन दे दी, उनका फेवर किया, उनको पोर्ट्स दे दिया। लेकिन तेलंगाना में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सरकार बनते ही 12,400 करोड़ पहला एग्रीमेंट अडानी के साथ साइन किया है। 


इस पर सचिन पायलट ने जवाब दिया:'कोई भी उद्योगपति या कोई भी इंडस्ट्री अगर किसी कॉम्पिटिशन में, किसी बिडिंग में क्वालीफाई करता है और वह राज्य में इन्वेस्ट करता है तो कोई भी राज्य सरकार चाहेगी कि पैसा आए, निवेश और रोजगार मिले, उद्योग लगे। इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन अगर आप नियम कानून को ताक पर रखकर ऐसा कोई रास्ता निकालें कि देश की खदानें, बिजलीघर, हवाई अड्डे, पोर्ट, रेलवे सब कुछ एक या दो लोगों को देना चाहें तो यह देश की संपत्ति है, उसका एक ट्रांसपैरेंट तरीके से काम होना चाहिए। हमारा सवाल सिर्फ इतना है कि अगर कुछ ऐसा हो रहा है, जिसमें शक की गुंजाइश है तो कृपया करके पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। ट्रांसपैरेंट काम हो।'


रजत शर्मा: राजस्थान में आपकी सरकार थी। अडानी ग्रुप के साथ 25,000 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट साइन किया अशोक गहलोत की सरकार ने। 


सचिन पायलट: नहीं, ऐसा नहीं। मैं तो कह रहा हूं.. एक लाख करोड़ इन्वेस्ट करो, लेकिन कॉम्पिटिशन से बिडिंग हो। आप क्वालीफाई करो। आप नियम कानून का पालन करो। इन्वेस्ट करें। किसी को कोई आपत्ति नहीं है।


रजत शर्मा: अडानी जी 'आपकी अदालत' में आए थे। मैंने उनसे पूछा आपको यह सब मिला? उन्होंने कहा, मैं एक-एक चीज का हिसाब दे सकता हूं। सारा कुछ मैंने कॉम्पिटिटिव बिडिंग से लिया है और कोई फेवर नहीं। लेकिन उनको लगता है कि राहुल जी को पता नहीं क्या परेशानी है?


सचिन पायलट: नहीं, ऐसा नहीं है। मुझे लगता है कि कुछ ऐसे मामले आए थे, जिसमें स्पष्टीकरण नहीं हो पाया था। और देखिए, आप और हम जानते हैं जो बिडिंग प्रॉसेस है, उसको कैसे कभी-कभी मैनेज किया जा सकता है। 


रजत शर्मा: जब कांग्रेस की सरकार होती है तो मैनेज नहीं होता है लेकिन जहां बीजेपी की सरकार होती है वहां मैनेज हो जाता है?


सचिन पायलट: हम राष्ट्रीय स्तर की बात कर रहे हैं।


रजत शर्मा: ये डबल स्टैंडर्ड तो नहीं हो सकता। आप नौ साल से लगातार अंबानी अडानी को गाली देंगे और फिर कांग्रेसी सरकारों में उनको कॉन्ट्रैक्ट भी देंगे।


सचिन पायलट: "अगर कोई इंडस्ट्रियल ग्रुप ट्रांसपैरेंट कुछ काम करना चाहता है तो चाहे वह कोई भी स्टेट हो उसे अनुमति मिलनी चाहिए। अगर वह नॉन ट्रांसपेरेंट (गैर पारदर्शी) तरीके से करे तो चाहे कांग्रेस की सरकार ही क्यों ना हो, उसकी भी जांच होनी चाहिए। मेरा तो इतना मानना है कि मापदंड बराबर होने चाहिए। अगर कहीं लोगों को आशंका है कि कुछ गड़बड़ी हुई है या कोई कोर्ट में केस चल रहा है या कोई रिपोर्ट ऐसी आ रही है जहां पर हमें लगता है कि उसमें कुछ गलती हुई है तो वह सही नहीं है। "


रजत शर्मा:मुश्किल हो रहा है डिफेंड करना?


सचिन पायलट: 'बिल्कुल नहीं। जब हम सरकार में थे (यूपीए) तो आए दिन आरोप लगते थे। क्रोनी कैपिटलिज्म। यह हो रहा है, वह हो रहा है। आज 10 साल हो गए, बीजेपी सरकार कोई प्रूफ नहीं दे सकी। टूजी स्कैम, सीएजी स्कैम, पता नहीं क्या स्कैम बोलते थे। आज तक कुछ सामने आया नहीं है। हम कहते हैं आप इतना बोलते थे। अगर आपके राज में कहीं कोई सवाल पूछता है तो कृपया जवाब दे दीजिए। मैं तो किसी को दोषी करार नहीं दे सकता हूं। जज तो आप लोग हैं, मैं तो सिर्फ सवाल पूछ सकता हूं। विपक्ष में रहकर अगर हम सवाल भी पूछें तो डेढ़ सौ सांसदों को बाहर निकाल दिया। सवाल पूछो तो बोला गया कि देशद्रोही हो..आपने ऐसे किया, वैसे किया। अगर सेबी किसी केस की जांच कर रही है और किसी ने कोर्ट में कुछ डाल दिया है तो सरकार को अपना जवाब देना चाहिए। मामला खत्म हो जाएगा, लेकिन उसको लटकाना,उलझाना... इसलिए विवाद पैदा होता है।'


रजत शर्मा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बारे में पूछा कि आपकी पार्टी के नेता कहते हैं कि अगर आप अशोक गहलोत से नहीं टकराते, दोनों मिलकर चुनाव लड़ते, तो शायद ऐसी हालत नहीं होती.


इसपर सचिन पायलट ने कहा- हमलोग तीनों राज्यों में हारे।  मुझे बड़ा खेद है और दुख भी है मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हम चुनाव हार गए। राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें है और 2023 के चुनाव में हम 70 सीटें जीत सके। जहां तक इस आरोप का सवाल है कि मेरी वजह से पार्टी हारी, तो मैं स्पष्ट कर दूं कि 2013 में हमारी पार्टी ने केवल 21 सीटें जीती थी। तब तो हार के लिए मैं जिम्मेदार नहीं था? यह कहना बड़ा आसान है... और अगर हम चुनाव जीत जाते, तो फिर  क्या बोलते? इस चुनाव में हम सबने मिलकर मेहनत की। 30 साल से राजस्थान में  पांच साल BJP तो पांच साल कांग्रेस की परिपाटी है। तो हम लोगों ने कहा कि इस परिपाटी को तोड़ने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए और हमारे कुछ issues थे, मैं इसको स्वीकार करता हूं। लेकिन हमने फिर बैठकर बात की। खरगे जी, राहुल जी, हम सब बैठे। लेकिन दुर्भाग्यवश हम लोग जनता को convince नहीं कर पाए। लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि हमारा जो वोट प्रतिशत है वह कम नहीं हुआ। हमें करीब 40 प्रतिशत वोट मिले जो कि बीजेपी से 1.5 प्रतिशत कम है। तो ऐसा नहीं है कि हम लोग चुनाव पूरी तरह हारे हैं। या हमारा मनोबल गिरा है। ठीक है, हार जीत होती है। 200 सीटों में से हम 70 जीत पाए। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि चुनाव खत्म होने के बाद वहां सरकार तो बीजेपी की बन गई। लेकिन तीन हफ्ते के अंदर उपचुनाव (करणपुर) हुआ। इस उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार (सुरेंद्र पाल सिंह), जिन्हें बीजेपी ने मंत्री बना दिया था,  कांग्रेस उम्मीदवार (रूपिंदर सिंह कूनर) से करीब 12 हजार वोटों से हार गए। तो जनता ने तीन हफ्ते के अंदर दिखाया कि जो एमएलए भी नहीं थे उन्हें मंत्री तो बना दिया फिर भी चुनाव हार गए। हम सब वहां चुनाव प्रचार करने गए थे।'

 

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जब रजत शर्मा ने सचिन पायलट को यह याद दिलाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार उन्हें "देशद्रोही" बताया था और केस भी दायर किया था, तो सचिन पायलट ने जवाब दिया:'मुझे लगता है कि आपको एक अलग अदालत बनानी पड़ेगी। उनको बुला के उनसे पूछना पड़ेगा। उन्होंने क्या कहा, क्या नहीं कहा। लेकिन यह राजद्रोह का मुकदमा, यह सब कार्यवाही और जो घटनाक्रम हुआ, उसका कुछ तो कारण होगा? ऐसे तो कोई बेवफा नहीं होता।  कहीं कुछ तो बात हुई होगी ना? तो यह सारे प्रकरण सामने आए इसलिए हम सब लोग, हमारे साथी दिल्ली आए थे। हमने अपनी बात रखी और लंबी चर्चा हुई थी।  आज स्वर्गीय अहमद पटेल जी नहीं रहे। सबसे चर्चा कर कर हमने समाधान निकालने की कोशिश की थी, तब आगे बढ़े थे।"

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