By नीरज कुमार दुबे | Jun 24, 2023
रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया है। दरअसल निजी सैन्य कंपनी वैगनर ग्रुप ने बगावत करते हुए यूक्रेन से हाथ मिला लिया है जिससे रूस को बड़ा तगड़ा झटका लगा है। वैगनर ग्रुप के इस कदम को रूस के खिलाफ सबसे बड़ा और आश्चर्यजनक विद्रोह माना जा रहा है। हम आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध में वैगनर ग्रुप अभी तक रूस के लिए बड़ी ताकत के रूप में काम कर रहा था लेकिन अब उसके 30 हजार लड़ाकों ने यूक्रेन से हाथ मिलाते हुए रूस के खिलाफ विद्रोह कर दिया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने रूस के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए रूसी सेना के एक हेलिकॉप्टर को मार गिराया है। इस बीच, रूस ने अपनी राजधानी मास्को के एक प्रमुख राजमार्ग को बंद कर दिया है और लोगों से घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील की है।
देखा जाये तो वैगनर ग्रुप के इस कदम से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध में जीत की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि वैगनर ग्रुप के ऐलान के बाद क्रेमलिन की सुरक्षा के लिए टैंकों की तैनाती कर दी गयी है साथ ही मॉस्कों की सड़कों पर भी टैंक और बख्तरबंद वाहन देखे गये हैं। पुतिन को यह डर भी सता रहा है कि बिगड़ते हालात को देखकर रूसी सेना कहीं उनके खिलाफ ही बगावत ना कर दे। एक रिपोर्ट यह भी है कि वैगनर ग्रुप के प्रमुख ने रोस्टोव में रूसी सेना के मिलिट्री मुख्यालय को अपने नियंत्रण में लेने का दावा भी किया है। हालांकि रूस में रोस्टोव के प्रशासन ने मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये लोगों को घरों में रहने की सलाह दी और कहा है कि अफवाहों के जाल में नहीं आयें।
वैगनर ग्रुप की इस बगावत के पीछे माना जो कारण माना जा रहा है वह यह है कि इस समूह को लगता है कि पिछले दिनों एक मिसाइल हमले के पीछे क्रेमलिन का हाथ है। इस हमले में वैगनर ग्रुप को काफी क्षति हुई थी इसीलिए वैगनर ग्रुप ने अब रूस को बर्बाद करने का ऐलान कर दिया है। वैगनर ग्रुप ने मॉस्को तक पहुँचने का ऐलान करते हुए कहा है कि अगर हमें किसी ने बीच में रोकने की कोशिश की तो हम किसी को नहीं छोड़ेंगे। इस बीच, रूस ने अपने महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा बढ़ा दी है और रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपने रक्षा-सुरक्षा अधिकारियों से पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि रूसी सेना से जुड़े स्थलों पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। इस बीच, वैगनर ग्रुप का यह भी कहना है कि उसके लड़ाकों ने कई जगह सीमा पार कर ली है।
जहां तक वैगनर ग्रुप की बात है तो हम आपको बता दें कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के सबसे उल्लेखनीय पहलुओं में से एक है निजी सैन्य कंपनियों पर मास्को की बढ़ती निर्भरता। इस युद्ध में वैगनर ग्रुप का नाम बार-बार आया है, जो एक निजी सैन्य कंपनी है। येवगेनी प्रिगोझिन के नेतृत्व में वैगनर ग्रुप जैसी ताकतों को सबसे भीषण लड़ाई का खामियाजा भुगतना पड़ा है, खासकर बखमुत के लिए खूनी लड़ाई के दौरान। यहां उसने बड़ी संख्या में अपने लड़ाकों को खोया। जून 2023 में, रक्षा मंत्रालय ने जाहिर तौर पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समर्थन से ऐलान किया था कि वह इन अनियमित बलों और मिलीशिया यानी सशस्त्र समूहों को अपने नियंत्रण में लाएगा।
हाल ही में संवाददाता सम्मेलन में, रूस के उप रक्षा मंत्री निकोलाई पानकोव ने इन निजी कंपनियों और इनसे संबद्ध लड़ाकों की तारीफों में कसीदे पढ़े थे। उन्होंने दावा किया था कि इन समूहों में "मातृभूमि की रक्षा" करने के इच्छुक नागरिकों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और उन्होंने इनसे जुड़ने के तरीके के बारे में बताया था। उनकी इस घोषणा को, रूस को मानव संसाधन की तत्काल जरूरत और आम लोगों को सेना से अनिवार्य रूप से जोड़ने से बचने की उसकी इच्छा के संकेत के तौर पर देखा गया था।
हालांकि रूस और वैगनर ग्रुप के बीच तनाव तब सामने आ गया था जब प्रिगोझिन ने नये अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था वहीं चेचन बलों के अखमात समूह ने अनुबंध पर हस्ताक्षर करने में जरा भी विलंब नहीं किया था। हम आपको यह भी बता दें कि हाल में रूसी मीडिया में ऐसी भी खबरें आईं थीं कि देश भर के 42 शहरों में वैगनर भर्ती केंद्र खुल गए हैं। वैगनर समूह रूसी जेलों से भारी भर्ती करता है। देखा जाये तो अनियमित सेनाओं की एक श्रृंखला यूक्रेन में भी सक्रिय है, जिनमें रमज़ान कादिरोव की चेचन सेनाएं, कादिरोवत्सी शामिल है। यह आधिकारिक तौर पर वैगनर, रेडुट, पैट्रियट और पोटोक जैसे निजी बलों के साथ-साथ रूसी नेशनल गार्ड (रोसग्वर्डिया) की कमान में आती हैं। विभिन्न समूहों में संसाधनों, वर्चस्व तथा अन्य कारणों को लेकर प्रतिद्वन्द्विता चलती रहती है। प्रिगोझिन और शोइगु के बीच वाकयुद्ध सर्वविदित है। दोनों एक दूसरे की आलोचना करने में कसर नहीं छोड़ते। हालांकि, ये मतभेद कुछ हद तक पुतिन के लिए फायदेमंद भी होते हैं।
क्रेमलिन यूक्रेन में अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए निजी सैन्य समूहों पर ज्यादा निर्भर हो गया था जिसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा है। दरअसल निजी सैन्य कंपनियों का सहयोग लेने की रूस की मजबूरी इसलिए थी क्योंकि इसके जरिये वह सेना में आम लोगों की अनिवार्य भर्ती का कदम टालना चाहता था।