Prabhasakshi Exclusive: Putin का अंतिम वार बहुत घातक होने वाला है, मगर Zelensky उसे झेलने के लिए तैयार नहीं हैं, अब क्या होगा?

By नीरज कुमार दुबे | Feb 23, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब किस पड़ाव पर है? अभी और कितना खिंच सकता है यह युद्ध? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह युद्ध अभी और खिंचने का अंदेशा है क्योंकि कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि लेकिन एक चीज साफ नजर आ रही है कि यूक्रेन अब तेजी के साथ अपने क्षेत्रों को खोता जा रहा है और जिस तरह रूस की सेना का मुकाबला कर पाने की इच्छा भी अब यूक्रेन की सेना नहीं दिखा रही है उससे पश्चिमी देश खासे नाराज हैं इसलिए अब वह मदद में भी आनाकानी करने लगे हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक इस युद्ध से जुड़े ताजा अपडेट की बात है तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि रूस की 95% परमाणु सेनाओं का आधुनिकीकरण हो चुका है और उनकी वायु सेना ने हाल ही में चार नए सुपरसोनिक परमाणु-सक्षम बमवर्षकों की डिलीवरी ली है। उन्होंने कहा कि पुतिन ने आधुनिक टीयू-160एम परमाणु-सक्षम बमवर्षक पर उड़ान भरने के एक दिन बाद रूस के वार्षिक फादरलैंड डे के अवसर पर जारी एक बयान में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि रूसी सेना का जोश हाई है और लड़ाकू विमान में यात्रा कर पुतिन ने भी संदेश दे दिया है कि वह अब भी सामने से और पूरे जोश के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन में युद्ध और एलेक्सी नवलनी की मौत के लिए रूस के खिलाफ 500 से अधिक प्रतिबंधों की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह प्रतिबंध शायद ही ज्यादा असर दिखा पाएं क्योंकि अब तक अमेरिका समेत तमाम देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाये हैं लेकिन रूस का काम ठीकठाक चल रहा है और उसकी सेहत पर ज्यादा विपरीत असर नहीं पड़ा है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा यूक्रेन का कहना है कि रूस उसके 'हॉटस्पॉट' मारिंका पर हमलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के सशस्त्र बलों ने कहा है कि रूस ने मारिंका शहर पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूर्वी डोनेट्स्क क्षेत्र में हमले तेज कर दिए हैं। यूक्रेनी सेना के प्रवक्ता दिमित्रो लिखोवी ने कहा कि अवदीवका के पतन के बाद मारिंका का क्षेत्र "एक और हॉटस्पॉट" बन गया है। उन्होंने कहा कि मारिंका के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित दो गांवों में रूसी सेना ने 31 बार हमारे सैनिकों की सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश की। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की ने सैन्य सहायता की पश्चिमी आपूर्ति में देरी के कारण मोर्चे पर स्थिति को "बेहद कठिन" बताया है जोकि दर्शा रहा है कि यूक्रेनी खेमे में निराशा है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अब, जबकि यूक्रेन रूस की आक्रामकता के खिलाफ खुद को बचाने के तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो ऐसा लग रहा है कि वह पूरी तरह थक चुका है और टूट चुका है। उन्होंने कहा कि दो साल के भीषण युद्ध में भारी जनहानि हुई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यूक्रेन की पहले से ही संघर्षरत अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि युद्ध की लागत आश्चर्यजनक दर से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो यूरोपीय संघ द्वारा यूक्रेन को समर्थन के रूप में उपलब्ध कराई गई कुल राशि से यूक्रेन की ज़रूरतें 12 महीनों में डेढ़ गुना बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह युद्ध जारी रहता है तो एक चीज साफ दिख रही है कि पश्चिमी देशों का समर्थन भी यूक्रेन को हारने से नहीं रोक पायेगा। उन्होंने कहा कि लगता है कि पुतिन ने टकर कार्लसन के साथ अपने हालिया साक्षात्कार में जिस तरह सभी पश्चिमी और यूरोपीय देशों की हार की भविष्यवाणी की थी वह हकीकत बन सकती है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यूक्रेन की हार पश्चिम के लिए एक बड़ा अपमान होगी। उन्होंने कहा कि रूसी जीत वर्तमान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव लाएगी। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को चाहिए कि वह युद्धविराम पर गंभीरता से विचार करे। लड़ाई ख़त्म होने से यूक्रेन को घरेलू स्तर पर रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने का समय मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि एक चीज और है कि पश्चिम की ओर से कीव के लिए सैन्य समर्थन को दोगुना करने के विकल्प का भी परिणाम यूक्रेन की हार के रूप में ही सामने आयेगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल जो रिपोर्टें हैं वह दर्शा रही हैं कि रूसी राष्ट्रपति का अब जो वार होने वाला है वह बहुत घातक होने वाला है और उसे झेलने के लिए यूक्रेन बिल्कुल भी तैयार नहीं है।

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