रूस-यूक्रेन संकट: एस जयशंकर बोले- सभी को सुलह के तरीकों को देखना होगा

By टीम प्रभासाक्षी | Feb 20, 2022

रूस और यूक्रेन का तनाव लगातार गहराता जा रहा है। दोनों देशों के बीच जंग होने जैसे हालात पैदा हो गए हैं। पश्चिम के मुल्क लगातार यह कह रहे हैं कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। हालांकि रूस हमले की आशंका को नकार रहा है। इन सभी अटकलों और आशंकाओं के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जंग को टालने का रास्ता बताया है।


रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे विवाद के बीच भारत ने अभी तक तटस्थ रुख अख्तियार किया हुआ है। वहीं यूक्रेन संकट की वजह से नए शीत युद्ध जैसे हालात पैदा होने पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि यह बहुत अलग हैं। हम कहीं अधिक में वैश्वीकृत और अंतर-भेद्य हो चुके हैं। ये हालात बहुत ही अलग तरह के दृष्टिकोण की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कूटनीति ही इसका एकमात्र उत्तर है। सभी को सुलह के तरीकों को देखना होगा


आपको बता दें देश मंत्री का यह बयान रूस यूक्रेन संकट पर अमेरिका के उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की चेतावनी के बाद आया है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने शनिवार को रूस को चेतावनी दी कि अगर वह यूक्रेन पर हमला करेगा तो उसे अभूतपूर्व आर्थिक कीमत चुकानी होगी। ऐसे हमले से यूरोपीय देश अमेरिका के और नजदीक आएंगे। हमला होने की स्थिति में अमेरिका अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर अभूतपूर्व आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा।


आपको बता दें अमेरिका के उपराष्ट्रपति ने जर्मनी में आयोजित वार्षिक म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यह बयान दिया। इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वह आश्वस्त है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला करने का निर्णय ले लिया है।


हैरिस ने अपने संबोधन के जरिए यह संदेश दिया कि यूक्रेन पर हमले से नाटो की तरफ से रूस पर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन ने अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर कूटनीतिक समाधान निकालने के लिए आपको से बातचीत करने की कोशिश की थी। लेकिन, क्रेमलिन की ओर से कोई अच्छी प्रतिक्रिया नहीं आई।


आपकी जानकारी के लिए बता दें भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भीम यूनिट में सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हुए हैं। उन्होंने यूरोप, एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों से आए मंत्रियों के साथ बैठक की। म्यूनिख में इंडोपेसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भाग लेते हुए विदेश मंत्री ने आईपीआर में चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि वह यूरोप के सामने आने वाली चुनौतियों से अलग हैं।

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