By नीरज कुमार दुबे | Oct 05, 2023
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के वर्तमान हालात क्या हैं? इस पर उन्होंने कहा कि युद्ध से सिर्फ रूस और यूक्रेन ही नहीं ऊबे हैं बल्कि पूरी दुनिया भी ऊब चुकी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी यूक्रेन को मदद दिये जाने का विरोध बढ़ता जा रहा है। वहां राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल विवेक रामास्वामी ने तो यूक्रेन में चुनाव कराने के लिए अमेरिका से अतिरिक्त धन मांगने पर युद्धग्रस्त देश के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की आलोचना तक कर डाली है। अमेरिकी संसद में जिस तरह यूक्रेन को लेकर हंगामा दिख रहा है वह दर्शा रहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए आगे युद्ध से प्रभावित इस देश की मदद कर पाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के मंत्रियों ने जरूर यूक्रेन जाकर जेलेंस्की को यह दर्शाने की कोशिश की है कि उनको मदद मिलती रहेगी लेकिन घरेलू स्तर पर देखें तो यूरोपीय देशों की जनता भी यूक्रेन को अब और मदद दिये जाने के खिलाफ खड़ी हो रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका में रामास्वामी ने जिस तरह कहा है कि अगर वह अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए तो यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता में कटौती कर देंगे, वह यदि वहां आने वाले राष्ट्रपति चुनावों में बड़ा मुद्दा बन गया तो किसी के लिए भी यूक्रेन की मदद के लिए खड़ा हो पाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि हमें यह भी देखना चाहिए कि रामास्वामी ने यह भी कहा है कि हमें किसी का तुष्टिकरण नहीं करना है। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि पुतिन एक दुष्ट तानाशाह हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि यूक्रेन भला है। उन्होंने बताया कि रामास्वामी ने कहा, ''यूक्रेन एक ऐसा देश है जिसने 11 विपक्षी दलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यही वह देश है जिसने सभी मीडिया संगठनों का एक सरकारी मीडिया शाखा में विलय कर दिया है, जिसके राष्ट्रपति ने पिछले हफ्ते एक नाजी की प्रशंसा की थी, उन्होंने अमेरिका को धमकी दी है कि अगर उन्हें अधिक धन नहीं मिलता है तो वह इस साल अपने देश यूक्रेन में आम चुनाव नहीं कराएंगे।’’
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर, रूस ने यूक्रेन के साथ जंग के बीच आपात स्थिति से निपटने से देश की तैयारी को देखने के लिए राष्ट्रव्यापी अभ्यास कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। इसके तहत समूचे रूस में सायरन बजाए गए और टीवी स्टेशन ने नियमित कार्यक्रमों को रोककर चेतावनी का प्रसारण किया। यूक्रेनी ड्रोन द्वारा मास्को और अन्य शहरों पर हमले के बाद मंगलवार को यह अभ्यास शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि अभ्यास चलने के बीच रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हवाई रक्षा प्रणाली ने बुधवार तड़के सीमावर्ती क्षेत्रों में यूक्रेन के 31 ड्रोन को मार गिराया। अभ्यास के तहत, टीवी चैनलों ने एक नोटिस का प्रसारण किया जिसमें लिखा गया था, ''सभी सावधान हो जाएं। सार्वजनिक चेतावनी प्रणाली की तैयारी का परीक्षण किया जा रहा है। कृपया शांत रहें।”
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस अभ्यास के बारे में रूसी मीडिया ने कहा है कि इस दौरान परमाणु शक्तियों के बीच संघर्ष के बढ़ते खतरे का उल्लेख किया गया और ऐसी स्थिति पर प्रतिक्रिया का अनुकरण किया गया है जिसमें 70 प्रतिशत आवास और सभी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे नष्ट हो गए हैं और रेडियोधर्मी से व्यापक क्षेत्र दूषित हो गया है। उन्होंने कहा कि यह परिदृश्य क्रेमलिन की चेतावनियों की ओर संकेत करता है कि पश्चिमी देशों का यूक्रेन को समर्थन रूस और नाटो के बीच सीधे टकराव का खतरा बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि संयोग से, अमेरिकी संघीय सरकार ने भी अपनी आपातकालीन चेतावनी प्रणाली का परीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान रेडियो और टेलीविजन जैसे माध्यम के जरिए 10 मिनट में अमेरिकी लोगों से बात कर सकें।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूस की तैयारी दर्शा रही है कि राष्ट्रपति पुतिन जानते हैं कि जीत एकदम तय है लेकिन वह यूक्रेन के मददगार पश्चिमी देशों को तगड़ा सबक सिखाने के लिए युद्ध को खींचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन ने अब यूक्रेन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ाने का खेल भी शुरू कर दिया है क्योंकि वह समझते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव निकट होने के चलते अमेरिका अब यूक्रेन की ज्यादा मदद नहीं कर पायेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह यूक्रेन पश्चिमी और नाटो देशों से मिले तमाम संसाधनों और प्रशिक्षण के बावजूद रूस को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुँचा पा रहा है, उल्टा रूस दिन पर दिन यूक्रेन की जमीन पर अपना कब्जा बढ़ाता जा रहा है और कब्जाये इलाकों में चुनाव करा कर या मनोनीत कर अपना प्रशासन नियुक्त करता जा रहा है वह दर्शा रहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अब हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं।