By अभिनय आकाश | Apr 08, 2024
दिल्ली के रामलीला मैदान का वो शोर। जब गांधी की टोपी पहने अन्ना हजारे रघुपति राघव राजा राम के बोल के साथ अनशन पर बैठे थे। पूरा देश उस वक्त अन्नामय हो गया था। अनशन अन्ना हजारे के भूखे रहने की हलचल ने पूरे देश में कोलाहल ला दिया और जिसकी चपेट में केंद्र शासित प्रदेश और देश की राजधानी दिल्ली से लेकर देश तक की आ-वो-हवा में परिवर्तन के बीज बो दिए गए। फिजाओं में परिवर्तन के बीज ऐसे बोएं की बाद में उसी बेलों के सहारे कईयों ने सत्ता व रसूख दोनों हासिल कर लिया। मीडिया ने भी इस अनशन को ऑल टाइम फेवरेट करार देते हुए इसका भरपूर कवरेज किया। इस भव्य और हिट अनशन की बदौलत अन्ना दूसरे महात्मा बन गए और उनके शिष्य दिल्ली के सीएम। अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन एक सशक्त लोकपाल की मांग पर टिका था। इस आंदोलन ने पहले से ही कई सारे स्कैम के आरोप झेल रही तत्कालीन यूपीए सरकार की बुनियाद को ही हिला कर रख दिया था। भ्रष्टाचार से त्रस्त देश को उस वक्त मोदी के रूप में उम्मीद की एक किरण नजर आई और उसने हर हर मोदी घर घर मोदी के नारों पर भरोसा जताते हुए उसे ही हर सवाल का जवाब मान लिया।
18 दिसंबर, 2013 को लोकायुक्त विधेयक ने लिया आकार
विधायकों सहित प्रशासकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक भ्रष्टाचार-विरोधी निकाय और एक लोकपाल का विचार पिछले कई दशकों से अधिक समय तक चलने के बाद अंततः 18 दिसंबर, 2013 को लोकसभा में लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2013 के पारित होने के साथ इसे आकार मिला। लेकिन कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नागरिक समाज आंदोलन, इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नेतृत्व में देशव्यापी विरोध के बाद ही इसे आकार मिला। ऐसे में ये जानने के लिए वर्तमान लोकपाल कितना कारगर है। प्रभासाक्षी की तरफ से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत भ्रष्टाचार विरोधी निकाय में याचिका दाखिल कर सवाल पूछे गए।
सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए प्रश्न-
लोकपाल के पास कितने मामले आए और कितने का निपटारा किया गया?
भ्रष्टाचार को लेकर कितनी शिकायतें मिलीं और उन पर क्या कार्रवाई हुई?
दिल्ली लोकायुक्त के यहां कितने मामले दर्ज हुए और कितनों का निपटारा हुआ?
ऐसे कितने मामले हैं जिनमें लोकपाल ने सक्षम प्राधिकारी को विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया?
क्या मिला जवाब
सवालों के जवाब में लोकपाल ने कहा कि भारत का लोकपाल कार्यालय आरटीआई आवेदन पत्र में मांगे गए तरीके से शिकायतों का डेटा नहीं रखता है। हालाँकि, इस कार्यालय में स्थापना के बाद से प्राप्त शिकायतों का डेटा 31.03.2024 तक इस प्रकार है- कुल 6428 शिकायतें रजिस्टर्ड की गई। जिनमें से 6357 शिकायतों को भारत के लोकपाल की ओर से निस्तारित कर दिया गया। 03 मामलों में अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई। जबकि 68 मामले अभी भी लोकपाल के पास पेंडिंग हैं। हालांकि मामलों में लोकपाल ने क्या कार्रवाई की है, उस पर क्या किया गया, ये सवाल हमारी आरटीआई याचिका के जवाब में हमें नहीं प्राप्त हुआ।