By नीरज कुमार दुबे | Jan 05, 2024
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में वादी रहे इकबाल अंसारी को शुक्रवार को 22 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का न्योता मिला। आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इकबाल अंसारी को कार्यक्रम में आमंत्रित किया। आमंत्रण पत्र रामपथ के नजदीक कोटिया पंजीटोला स्थित अंसारी के आवास पर दिया गया। हम आपको यह भी बता दें कि इकबाल अंसारी ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय 2019 में राम मंदिर पर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करता है। 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री के अयोध्या दौरे के दौरान इकबाल अंसारी ने मोदी पर फूल भी बरसाये थे। अब आमंत्रण पत्र मिलने पर अंसारी ने खुशी जताई है।
हम आपको बता दें कि 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। वहीं देश और विदेश से आमंत्रित अतिथियों की संख्या करीब सात हजार है। इस बीच, अयोध्या से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण खबरों पर गौर करें तो आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अयोध्या हवाई अड्डे का नाम 'महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्याधाम' करने के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने का भी निर्णय लिया गया। हम आपको याद दिला दें कि मोदी ने 30 दिसंबर को हवाई अड्डा का उद्घाटन किया था। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, "'हवाई अड्डे का महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्याधाम' नाम महर्षि वाल्मीकि को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना की थी। इस नाम से हवाई अड्डे की पहचान में एक सांस्कृतिक भाव भी जुड़ गया है।’’ विज्ञप्ति के अनुसार, अयोध्या की आर्थिक क्षमता और वैश्विक तीर्थस्थल के रूप में इसके महत्व को समझने, विदेशी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए दरवाजे खोलने के लिए अयोध्या हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय दर्जा देना बहुत महत्वपूर्ण है। विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘अयोध्या, अपनी गहरी सांस्कृतिक जड़ों के साथ रणनीतिक रूप से एक प्रमुख आर्थिक केंद्र और तीर्थस्थल बनने की स्थिति में है।’’ विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘हवाई अड्डे की अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों और व्यवसायों को आकर्षित करने की क्षमता शहर की ऐतिहासिक ख्याति के अनुरूप है।’’
इसके अलावा, अयोध्या में मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा है कि तीन मंजिला राम मंदिर का निर्माण इस साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। विस्तृत क्षेत्र में फैले मंदिर परिसर में अन्य ढांचे भी होंगे। नृपेंद्र मिश्रा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम सभी भगवान राम द्वारा कर्तव्य निर्वहन में प्रदर्शित की गई मर्यादा का पालन कर रहे हैं।’’ निर्माण कार्य के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने कहा, ‘‘अभी, भूतल का निर्माण हुआ है, पहली और दूसरी मंजिल का निर्माण दिसंबर 2024 तक पूरा हो जाएगा।’’ निर्माण कार्य में चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिदिन चुनौतियां आती हैं। लेकिन, मुझे लगता है कि चुनौतियों का हल अपने आप हो जाता है। अगली सुबह, हम देखते हैं कि समाधान खुद ब खुद हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य इस तरह से नहीं किया जाएगा जो नियमों, सिद्धांतों, मर्यादा पुरषोत्तम राम के जीवन के खिलाफ हो। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि श्रद्धालु निर्माण की गुणवत्ता और इसके टिकाऊपन से संतुष्ट होंगे। मिश्रा ने कहा कि वे इसके कम से कम 1,000 साल टिकने की उम्मीद कर रहे हैं इसलिए ‘‘हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं।’’ मूर्ति चुनने के विषय पर उन्होंने कहा कि इस बारे में निर्णय कर राय साझा करेंगे। हम आपको बता दें कि तीन मूर्तियां तैयार की जा रही हैं और उनमें से एक को मंदिर में स्थापित किया जाएगा। हाल में एक आपात बैठक में, न्यास के सदस्यों ने तीनों मूर्तियों को एक क्रम प्रदान किया था। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय उपयुक्त समय पर इस बारे में निर्णय साझा करेंगे। मिश्रा ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि न्यास तीनों मूर्तियों को लेगा। और भविष्य में, इन मूर्तियों का कैसे उपयोग किया जाएगा, इस बारे में न्याय निर्णय लेगा। इन तीन मूर्तियों में से एक को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि अगले चार-पांच महीनों में कम से कम 75,000 से एक लाख लोगों के मंदिर की यात्रा करने का अनुमान है।
इस बीच, अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य द्वार पर हाथियों, शेरों, भगवान हनुमान और 'गरुड़' की अलंकृत मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। मंदिर ट्रस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। ये मूर्तियाँ राजस्थान के बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से प्राप्त बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाई गई हैं। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पूर्व में कहा था, “मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से और निकास दक्षिण दिशा से होगा। संपूर्ण मंदिर अधिरचना अंततः तीन मंजिला होगी।” मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटक पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़ेंगे। मंदिर ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राम मंदिर की ओर जाने वाले मुख्य द्वार पर मूर्तियां स्थापित की गईं। इन मूर्तियों को मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के दोनों ओर लगाए गए स्तरीय फलकों पर स्थापित किया गया है। ट्रस्ट द्वारा साझा की गई तस्वीरों के अनुसार, निचले फलक पर हाथी की एक मूर्ति है, दूसरे स्तर पर शेर की एक मूर्ति है और सबसे ऊपर वाले फलक पर, भगवान हनुमान की मूर्ति एक तरफ है जबकि दूसरी तरफ ‘गरुड़’ की मूर्ति है। पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे।
इसके अलावा, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की देखरेख कर रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर की विभिन्न विशेषताओं के बारे में बृहस्पतिवार को जानकारी साझा की। इसके मुताबिक राम मंदिर का अपना जल उपचार संयंत्र और एक बिजली उपकेंद्र होगा। ट्रस्ट के अनुसार मंदिर परिसर में एक सीवेज उपचार संयंत्र, जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली उपकेंद्र होगा। इसके अलावा 25 हजार लोगों की क्षमता वाले एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र (पीएफसी) का निर्माण किया जा रहा है जिसमें तीर्थयात्रियों के लिए चिकित्सा और लॉकर की सुविधा होगी। ट्रस्ट द्वारा सोशल मीडिया पर जारी की गई जानकारी के मुताबिक मंदिर का निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। इसका निर्माण पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए किया जा रहा है और ट्रस्ट के अनुसार 70 एकड़ क्षेत्र के 70 प्रतिशत हिस्से को हरा-भरा रखा गया है। मंदिर में निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) की 14 मीटर मोटी परतों से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है। सीलन से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है।