By नीरज कुमार दुबे | Jan 01, 2024
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि नजदीक आने के साथ ही तमाम आयोजनों के जरिये अपील की जा रही है कि सभी धर्मों के लोग 22 जनवरी को आयोजित होने वाले रामोत्सव को मिलजुलकर मनाएं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने भी देश के मुसलमानों से 22 जनवरी को अयोध्या में राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर मस्जिदों, दरगाहों और मदरसों में ‘श्री राम, जय राम, जय जय राम’ जपने की अपील की। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत में 99 प्रतिशत मुसलमान और अन्य गैर-हिंदुओं का भारत से नाता है। उनका नाता आगे भी बना रहेगा, क्योंकि हमारे पुरखे एक ही थे। उन्होंने अपना धर्म बदला, अपना देश नहीं।’’ आरएसएस नेता ने इस्लाम, ईसाइयत, सिख या किसी भी अन्य धर्म का पालन कर रहे लोगों से ‘शांति, सद्भाव एवं भाईचारा’ के लिए अपने अपने धर्मस्थलों पर प्रार्थना कर अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जुड़ने की अपील की।
हम आपको बता दें कि इंद्रेश कुमार ‘राम मंदिर, राष्ट्र मंदिर: ए कॉमन हेरिटेज’ नामक एक पुस्तक के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के मुख्य संरक्षक कुमार ने कहा, ‘‘हमारे पुरखे एक ही थे, हमारी सूरत भी एक जैसी है, हमारी पहचान संबंधी आकांक्षाएं भी समान हैं। हम सभी का इसी देश से नाता है, हमारा विदेशियों से कोई लेना-देना नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एमआरएम ने अपील की है और मैं आज दोहरा रहा हूं कि दरगाहों, मकतबों, मदरसों और मस्जिदों में 11 बार ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ दोहराएं। बाकी आप अपनी उपासना पद्धति का पालन करें।’’
इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘‘जिनका हृदय बड़ा है, सोच बड़ी है, उनके लिए पूरा विश्व ही कुनबा (परिवार) है। ज्ञान परंपरा, जिस पर भारत आधारित है, इस उपदेश से भरा है।’’ उन्होंने कहा कि आज की बंटी हुई दुनिया को ऐसे संदेश की जरूरत है जो सबको इकट्ठा कर सके, जो सबको सम्मान दे सके। उन्होंने कहा, 'मैं किस घर में पैदा हुआ उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि मैं क्या करता हूँ। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के मुताबिक और इस्लाम के भी मुताबिक कर्म प्रधान है। हम आपको बता दें कि यह पुस्तक केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और गीता सिंह ने मिलकर लिखी है। इसकी प्रस्तावना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने लिखी है।