रोहतांग हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है जोकि बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। उत्तर में मनाली और दक्षिण में कुल्लू से 51 किलोमीटर दूर यह स्थान मनाली-लेह के मुख्यमार्ग में पड़ता है। इसे लाहौल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। देखा जाये तो पूरा वर्ष यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है। रोहतांग दर्रा से हिमालय श्रृंखला के पर्वतों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। यहाँ से बादल पर्वतों से नीचे दिखाई देते हैं। यह नजारा देखने के लिए ही लोग पता नहीं कहाँ-कहाँ से यहाँ पर आते हैं। रोहतांग दर्रे में स्कीइंग और ट्रेकिंग की भी अपार संभावनाएँ हैं। पर्यटक यहाँ आकर्षक नजारों का लुत्फ लेने और साहसिक खेलों को खेलने के लिए आते हैं।
लेकिन जैसे-जैसे यहाँ पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है क्योंकि क्षेत्र में गाड़ियों की बढ़ती आवाजाही खूब धुआं पैदा कर रही है। भारी बर्फबारी के समय यह इलाका जनता के लिए बंद रहता है लेकिन पर्यटक सीजन के दौरान इतनी भीड़ हो जाती है कि हजारों किलो कचरा रोजाना यहाँ से निकलता है जोकि दर्शाता है कि यह खूबसूरत स्थल समस्या से कितना ग्रस्त होता जा रहा है। नवम्बर से लेकर अप्रैल तक का समय ऐसा होता है जब खराब मौसम के चलते रोहतांग दर्रा का संपर्क शेष दुनिया से कटा हुआ होता है।
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रोहतांग पास जाने के लिए सबसे अच्छा समय जून से अक्तूबर तक का होता है। यहाँ जाने के लिए मनाली-रोहतांग रास्ते में से सर्दी में पहनने वाले कोट और जूते किराये पर ले लें क्योंकि वहां काफी बर्फ है जिससे आपको घूमने में परेशानी आएगी। रोहतांग पास जाने के लिए मनाली या कुल्लू से आप जीप भी ले सकते हैं या अपनी गाड़ी में भी वहां जा सकते हैं। एक बात ध्यान रखें कि रोहतांग पास में पर्यटकों के रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है और रुकने के लिए आप मनाली में मौजूद किसी भी होटल में रुक सकते हैं। मनाली यहां से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर है।
रोहतांग दर्रे से ही व्यास नदी का उदगम हुआ है। व्यास कुंड व्यास नदी के उदगम का स्थान है, वहां के कुंड के पानी का स्वाद अद्वितीय है। इस नदी की कुल लम्बाई 460 किलोमीटर है। मान्यता है कि लाहौल-स्पीती और कुल्लू अलग क्षेत्र थे तब इन्हें जोड़ने के लिए स्थानीय लोगों ने यहाँ एक मार्ग बनाने के लिए अपने ईष्ट देव भगवान शिव की आराधना की, तब भगवान शिव ने भृगु तुंग पर्वत को अपने त्रिशूल से काट कर यह भृगु-तुंग मार्ग यानि रोहतांग पास बनाया था। रोहतांग दर्रे के दक्षिण में व्यास नदी का उद्गम कुंड बना हुआ है। यहीं पर हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत लिखने वाले महर्षि वेद व्यास जी ने तपस्या की थी। इसीलिए इस स्थान पर व्यास मंदिर भी बना हुआ है।
-प्रीटी