कश्मीर में मोबाइल की घंटी बजते ही बढ़ने लगे आतंकवादी हमले

By सुरेश एस डुग्गर | Oct 30, 2019

आतंकवादियों ने एक पखवाड़े में 6 ट्रक चालकों को मौत के घाट उतार दिया। दो सेब के प्रवासी व्यापारियों तथा दो प्रवासी श्रमिकों की भी हत्याएं की जा चुकी हैं। एक पखवाड़े में इन 10 हत्याओं ने सुरक्षा बलों के उन धावों की धज्जियां जरूर उड़ाई हैं जो प्रवासियों तथा ट्रक चालकों को पूरी सुरक्षा देने का दावा कर रहे थे। हालांकि अब इन हत्याओं के लिए सुरक्षा बल संचार माध्यमों की उपलब्धता अर्थात् फोन तथा मोबाइल सेवाओं पर हटाई गई रोक को जिम्मेदार ठहराते हुए कह रहे हैं कि आतंकी एक-दूसरे से संपर्क करने में कायमाब हो पा रहे हैं और वे ऐसी घटनाओं को अंजाम देने लगे हैं जो दहशत फैला रही हैं।

 

हालांकि सुरक्षाधिकारियों को ऐसा दोषारोपण करते समय क्यों उन आतंकी हमलों और हत्याओं को भूल जाते थे जो संचार माध्यमों पर रोक लगाए जाने की अवधि में भी हुई थीं। दरअसल इन हत्याओं ने सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोली है। पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद कश्मीर में लॉकडाउन की खातिर गैर सरकारी तौर पर दो लाख के करीब सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। ऐसे में राज्य के बाहर से आए एक ट्रक चालक का सवाल था कि अगर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात करने के बाद भी आतंकी हमले करने में कामयाब होते हैं तो सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति में क्या होगा?

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दरअसल आतंकवादी सीमा पार से मिले निर्देशों पर अमल करते हुए सेब की फसल को कश्मीर से बाहर नहीं जाने देना चाहते हैं। वे जानते हैं कि ऐसा करने में कामयाब होने पर कश्मीर की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से हिल जाएगी जो पहले ही 85 दिनों के लॉकडाउन और संचारबंदी के कारण 10 हजार करोड़ के नुकसान को सहन करने को मजबूर हुई है। अर्थव्यवस्था को नेस्तनाबूद कर वे कश्मीरियों को भारत के खिलाफ भड़काना चाहते हैं।

 

जब कश्मीरियों पर उनकी धमकियां तथा चेतावनियां बेअसर हुईं तो उन्होंने उन प्रवासी नागरिकों तथा ट्रक चालकों को निशाना बनाना आरंभ कर दिया जो अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में भागीदार बनने लगे थे। नतीजा सामने था। एक पखवाड़े में 6 ट्रक चालकों की हत्याएं कर दी गईं। सेब के व्यापारी भी नहीं बच पाए और न ही प्रवासी श्रमिक। बावजूद इस ताबड़तोड हत्याओं के, सुरक्षा बल सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी करने का दावा करते रहे। हालत तो यहां तक गंभीर हो गई कि सोमवार रात को एक ट्रक चालक की हत्या के बाद प्रशासन ने मुगल रोड के रास्ते अनंतनाग के शोपियां में ट्रकों के दाखिल होने पर पाबंदी लगा दी। जम्मू से रवाना होने वाले वाहनों को भी रोक दिया। हालांकि मंगलवार को एक आतंकी को मार गिरा कर ट्रक चालक की हत्या का बदला लेने का दावा तो जरूर किया गया पर यह इन ट्रक चालकों में उत्साह नहीं भर पाया।

 

दरअसल सुरक्षा बलों ने एक आतंकी को ढेर कर यह दावा किया है कि वह सोमवार रात हुई ट्रक चालक की हत्या में लिप्त था। उन्होंने यह भी दावा किया है कि मारे गए आतंकी के दो अन्य साथियों की तलाश जारी है। इस बीच सोमवार रात मारे गए कटड़ा के रहने वाले ट्रक चालक के परिवार वाले सकते में हैं और वे अभी भी इस हत्या पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं। सोमवार रात अनंतनाग में आतंकियों ने ट्रक ड्राइवर नारायण दत्त की गोली मारकर हत्या कर दी थी। कटड़ा में नारायण दत्त के परिवार वाले गमगीन हैं। घर पर लोगों की भीड़ लगी है। दत्त की बेटी ने कहा कि हमें फोन पर पता चला कि वह नहीं रहे। हम चार भाई-बहन हैं और अब हमारी देखरेख करने वाला कोई भी नहीं है।

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ट्रक ड्राइवर की हत्या के बाद सेना, पुलिस और सीआरपीएफ ने अनंतनाग के तमाम इलाकों में सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। तलाशी अभियान के बीच मंगलवार को बिजबिहाड़ा के पास घिरे आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी कर भागने का प्रयास किया। इसके बाद सुरक्षा बलों के काउंटर ऑपरेशन में एक आतंकी को मार गिराया गया। वहीं दल में शामिल कुछ अन्य आतंकी मौके से भाग निकले। कई अन्य आतंकवादियों के फरार होने की आशंका में जवान लगातार इलाके में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। हालंकि पुलिस कहती है कि ट्रक चालकों की सुरक्षा के लिए नई रणनीति तैयार की गई है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए कहा गया है। लेकिन मिलने वाली सूचनाएं कहती हैं कि आतंकी आने वाले दिनों में ऐसे और हमलों को अंजाम देकर प्रवासी नागरिकों को कश्मीर आने से पूरी तरह से रोक सकते हैं।

 

अफवाहों का बाजार गर्म

 

दूसरी ओर, जम्मू कश्मीर को दो भागों में विभाजित कर केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की प्रक्रिया 31 अक्तूबर को संपन्न होने जा रही है। इस दिन जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के उप-राज्यपाल श्रीनगर व लेह में शपथ भी लेंगे। इस दिन को लेकर जम्मू-कश्मीर में अफवाहों का जबरदस्त बाजार गर्म है। इस बार सबसे ज्यादा अफवाहें जम्मू संभाग में हैं जो लोगों को दहशतजदा कर रही हैं। हालांकि कश्मीर में भी अफवाहें राज करने लगी हैं। लोग 31 अक्तूबर के पहले राज्य में फिर से बेमियादी कर्फ्यू लगाए जाने तथा सभी प्रकार के संचार संसाधनों पर रोक लगाए जाने की अफवाहों से चिंतित हैं।

 

दरअसल यह चर्चाएं आम हैं कि कश्मीर में 29 अक्तूबर और जम्मू में30 अक्तूबर से एक नवम्बर तक कर्फ्यू लगा दिया जायेगा। फिलहाल ऐसी चर्चाओं को अधिकारी सिर्फ अफवाहें ही बता रहे हैं लेकिन लोगों में दहशत का आलम यह है कि कई क्षेत्रों में भंडारण के लिए खरीददारी भी आरंभ हो चुकी है। इस संवाददाता ने सोमवार को कई सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया और पाया कि ऐसी अफवाहें पाकिस्तानी बॉर्डर तक पहुंच चुकी हैं। कई लोगों ने बताया कि लोगों से राशन एकत्र करने को कहा जा रहा है। चिंताजनक बात इन अफवाहों के प्रति यह थी कि कोई भी लोगों की आशंकाओं को दूर करने की पहल नहीं कर रहा था। सबसे बड़ी अफवाह संचार माध्यमों पर एक बार फिर प्रतिबंध लगाए जाने की है। इस बार की अफवाह में पूरे जम्मू-कश्मीर में मोबाइल तथा लैंडलाइन फोन बंद कर दिए जाने की चर्चा है। ब्रॉडबैंड भी क्या बंद हो जाएगा, कोई नहीं जानता। हालांकि दूरसंचार विभाग के अतिरिक्त निजी मोबाइल ऑपरेटरों के अधिकारियों से हुई बातचीत से ऐसा कुछ होता प्रतीत नहीं हो रहा था लेकिन 4 व 5 अगस्त की रात के अनुभव को देखते हुए सभी का कहना था कि कुछ ऐसा हो जाए तो बड़ी बात नहीं है।

 

-सुरेश एस डुग्गर

 

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