By नीरज कुमार दुबे | Nov 13, 2024
देश में महंगाई एक बार फिर तेजी से बढ़ी है जिससे उपभोक्ताओं की जेब ढीली हो रही है। हम आपको बता दें कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ऐसा मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण हुआ है। इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है। हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल इसी महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी।
एनएसओ ने कहा, “अक्टूबर, 2024 के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.21 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मुद्रास्फीति की दर 6.68 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के लिए 5.62 प्रतिशत है।” एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर, 2024 के दौरान ‘दालों और इसके उत्पादों’, अंडे, ‘चीनी और कन्फेक्शनरी’ और मसालों के उपसमूह में मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। एनएसओ ने कहा, “अक्टूबर, 2024 में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति मुख्य रूप से सब्जियों, फलों और तेलों और वसायुक्त वस्तुओं की मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण हैं।”
इस बीच, इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति चिंताजनक रूप से बढ़कर अक्टूबर, 2024 में 14 महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गई, जो मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मध्यम अवधि लक्ष्य सीमा चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़) से अधिक है। उन्होंने कहा, “मुद्रास्फीति में क्रमिक वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थ खंड के कारण हुई, जिसके बाद मुख्य वस्तुओं में हल्की वृद्धि हुई।” अदिति नायर ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर को पार कर गई है और चालू वित्त वर्ष (2024-25) की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के लिए एमपीसी के अनुमान से कम से कम 0.6-0.7 प्रतिशत अधिक रहने की आशंका है। इससे एमपीसी की आगामी बैठक में रेपो दर में कटौती की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं। उन्होंने कहा, “हमारा अनुमान है कि 0.5 प्रतिशत का दर कटौती चक्र फरवरी, 2025 या उसके बाद शुरू हो सकता है।''
इस बीच, कांग्रेस ने खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कारण महंगाई में वृद्धि को लेकर मंगलवार को चिंता व्यक्त की और सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में वह खाद्य पदार्थों की कीमतों को मुद्रास्फीति के आकलन से बाहर कर सकती है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘खाद्य मुद्रास्फीति अब दोहरे अंक में पहुंच गई है।'' उन्होंने कहा कि अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मुंबई जैसी जगहों पर प्याज अब 80 रुपये प्रति किलोग्राम की ऊंची कीमत पर बिक रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति अब रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सब सुस्त खपत, निवेश में कमी, स्थिर वास्तविक मजदूरी और व्यापक बेरोजगारी के साथ हो रहा है। जब खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ता है, तो सरकार का जोर केवल खाद्य पदार्थों की कीमतों को मुद्रास्फीति के आकलन से बाहर करने का होता है।’’