पाकिस्तान ने पुन: बर्बरता की सारी सीमाएँ लांघी हैं। पाकिस्तान ने अपने सैन्य प्रमुख की एलओसी यात्रा के ठीक एक दिन बाद जिस प्रकार पहले सीजफायर का उल्लंघन कर नियंत्रण रेखा से 200 मीटर अंदर घुसकर घात लगाकर हमला कर दो भारतीय जवानों को शहीद कर दिया तथा उन दोनों शहीद भारतीय जवानों के पार्थिव शरीर को क्षत-विक्षत किया, वह अत्यंत बर्बर व पाशविक कृत्य है। वहीं दोपहर होते-होते जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों के एक समूह ने एटीएम कैश वेन पर हमला कर दिया, जिसमें 5 पुलिसकर्मी और दो बैंककर्मी शहीद हो गए। साथ ही पुलिसकर्मियों के सभी हथियार भी आतंकवादियों ने लूट लिए।
जम्मू कश्मीर में जिस प्रकार एक ही दिन दोनों घटनाक्रम घटित हुए उससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान एक तरफ सीमा पर तथा दूसरी ओर जम्मू कश्मीर के भीतर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देकर कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण का प्रयत्न कर रहा है। पाकिस्तान का यह घिनौना रूप तब आया है, जब एक दिन पूर्व ही पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने एलओसी का दौरा किया। जनरल बाजवा ने सरहद पर हाजीपीर सेक्टर इलाके में दौरे के दौरान भारत के खिलाफ अत्यंत भड़कीला एवं जहरीला बयान दिया था। यह बाजवा का नियंत्रण रेखा पर चौथा दौरा है। इसके पूर्व बाजवा ने मार्च में भी एलओसी का दौरा किया था। रविवार को बाजवा की एलओसी यात्रा और सोमवार को पाकिस्तान के बैट अर्थात् बॉर्डर एक्शन टीम के इस घृणित कार्य से स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने अब भारत के विरुद्ध एक युद्ध प्रारंभ कर दिया है। कश्मीर में बढ़ती हिंसा तथा बाजवा की बार-बार नियंत्रण रेखा की यात्रा पाकिस्तान की कुछ गंभीर व गहरी साजिश की ओर ही संकेत कर रहे हैं।
पाकिस्तान ने एलओसी पर भारतीय सैनिकों पर हमला के लिए जिस बैट टीम का प्रयोग किया, वह दुनिया भर में किसी फौज का अकेला दस्ता है, जिसमें चुन चुनकर आतंकियों की भर्ती की जाती है। बैट खासतौर से पेट्रोलिंग कर रहे जवानों पर घात लगाकर हमला करती है और उनके शवों को क्षत-विक्षत कर देती है। 2011 में बैट ने कुपवाड़ा में कुमाऊँ रेजीमेंट के जवान के शव को क्षत-विक्षत कर दिया था। इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन जिंजर में 8 पाकिस्तानी जवानों को ढेर कर दिया था। 2013 में बैट ने पुंछ में जवान हेमराज और सुधाकर का सिर कलम कर दिया था। उसके बाद सेना ने पाकिस्तान के करीब 20 जवानों को ढेर कर भारतीय सैनिकों की शहादत का बदल लिया था। पिछले वर्ष भारत के सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान ने ज्यादा सीख नहीं ली है। आवश्यकता है पाकिस्तान के विरुद्ध और भी ऐसे कठोर कार्यवाही की, जिससे पाकिस्तान पुन: ऐसी कार्यवाही के लिए न सोचे।
पाकिस्तान के इस प्रकार के कृत्यों से स्पष्ट है कि पाकिस्तानी सेना में कट्टरता उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। शांति तो क्या युद्ध के समय भी शत्रु देश के सैनिकों के शव के साथ कोई देश ऐसा व्यवहार नहीं करता है। यह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौतों का भी उल्लंघन है। घटना के बाद रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। भारतीय सेना ने जवाबी कार्यवाही करते हुए कृष्णा घाटी के पास पाकिस्तान की 2 चौकियों को तबाह कर दिया है तथा कम से कम 7 पाकिस्तानी जवान भी मारे गए। परंतु केवल उपरोक्त कार्यवाही पाकिस्तानी समस्या का समाधान नहीं है। पिछले वर्ष पाकिस्तान पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक भी पाकिस्तान के व्यवहार में ज्यादा परिवर्तन नहीं ला पाई। भारतीय सेना के अनुसार सर्जिकल स्ट्राइक में नष्ट किए गए आतंकी लांचपैड फिर सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में भारत द्वारा योजनाबद्ध तरीके से पुन: पाकिस्तान पर कठोर कार्यवाही अति अनिवार्य है।
अब मुख्य प्रश्न उठता है कि पाकिस्तान पर कठोरतम कार्यवाही क्या हो, जिससे हमें पाकिस्तान के प्रति निवारक निरोध प्राप्त हो सके? इसके लिए भारत को पाकिस्तान पर बहुपक्षीय कार्यवाही करनी होगी, जिसमें सैन्य कार्यवाही, कूटनीतिक कार्यवाही, आर्थिक प्रतिबंध जैसे तमाम विकल्प उपलब्ध हैं। सैन्य कार्रवाई के अंतर्गत और भी कठोर कई सर्जिकल स्ट्राइक किए जा सकते हैं। यह कार्यवाही कब और किस रूप में क्रियान्वित की जाए, इस पर सेना को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ कार्रवाई का अधिकार उपलब्ध होना चाहिए।
दीर्घावधि समाधान हेतु हम लोग देख रहे हैं कि पाकिस्तान की सेना अभी दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ रही है, एक अफगानिस्तान की सीमा पर तथा दूसरी भारतीय सीमा पर। अफगानिस्तान के साथ मिलकर भारत को दोनों ही सीमाओं पर दबाव बनाना चाहिए। पाकिस्तान का परम प्रिय मित्र चीन भी भारत के विरोध के कारण ही उसका घनिष्ठ मित्र है। अगर पाकिस्तान भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध बंद कर देगा, तो चीन का भी पाकिस्तान से मोहभंग हो जाएगा। ऐसे में भारत के लिए सैन्य दृष्टि से यह आवश्यक है कि वह पाकिस्तान पर और भी कठोर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों की कमर तोड़ दे। साथ ही वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिए चीन को भी अति विशिष्ट ढंग से संतुलित करने की कूटनीति पर कार्य करे। इसके लिए आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक गोलबंदी और तेज करके चीन पर दबाव बनाना होगा।
चीन ने जहाँ पहले ग्वादर पोर्ट का केवल व्यावसायिक प्रयोग करने की बात कही थी, लेकिन अब सुरक्षा कारणों का बहाना बनाकर अपने सैन्य साजोसमान की तैनाती प्रारंभ कर दी है। भारत को भी जल्द से जल्द ग्वादर पोर्ट पर अपनी सक्रियता बढ़ानी होगी।
भारत को इस संपूर्ण मामले पर पाकिस्तान पर मुँहतोड़ कार्रवाई करनी होगी। हालांकि सीमा पर हमारे सैन्यकर्मी पाकिस्तान पर कठोर कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन इस जवाबी कार्यवाई को और घातक बनाने की आवश्यकता है, जिससे पाकिस्तान पुन: इस तरह का दुस्साहस नहीं कर सके। इसके अतिरिक्त कूटनीतिक तौर पर सिंधु जल समझौते को अब हथियार बनाने की आवश्यकता है। अगर भारत ने अपना रुख कड़ा किया तो पाकिस्तान एक-एक बूँद पानी के लिए परेशान हो जाएगा। इससे न केवल पाकिस्तान की कृषि प्रभावित होगी, अपितु संपूर्ण अर्थव्यवस्था थम जाएगी।
पाकिस्तान की मूल चिंता यह है कि भारत वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद से संबद्ध देश घोषित करने में सफल रहा। ऐसे में पाकिस्तान में जहाँ सुधार होना चाहिए, वहीं पाकिस्तान और भी ज्यादा आक्रामक होकर विश्व समुदाय के समक्ष भारतीय पक्ष की पुष्टि कर रहा है। क्वेटा आतंकवादी हमले से यह स्पष्ट हो चुका है कि जिन आतंकवादियों को पाकिस्तान भारत पर हमले के लिए तैयार करता है, वे उनके लिए भी खतरनाक होते हैं, परंतु पाकिस्तानी नीति निर्माताओं को शायद भस्मासुर की कहानी की मूल प्रेरणा समझने की कोई दिलचस्पी नहीं है।
इसका मूल कारण है कि पाकिस्तान भारत से सीधे युद्ध कर परास्त करने की हालत में नहीं है, इसलिए सीमापार आतंकवाद हो या सीजफायर का उल्लंघन, वह छद्म युद्ध में भारत को पराजित करना चाहता है। लेकिन अब पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि जब भारत घातक व कठोर कार्रवाई करेगा तो इस छद्म युद्ध की अवधि ज्यादा अधिक नहीं रहेगी। भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है, वह हर हाल में पाकिस्तान को समुचित सैन्य और कूटनीतिक जवाब देगा ही।
राहुल लाल
(लेखक परिचय- वर्ष 2002 से दैनिक हिंदुस्तान के साथ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर लेखन प्रारंभ किया था। तब से यह यात्रा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और ऑनलाइन समाचार-पत्रों में लेखन के माध्यम से निरंतर जारी है।)