रिजर्व बैंक की इस महीने हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के ब्योरे से यह संकेत मिलता है कि केंद्रीय बैंक आने वाले समय में संभवत: नीतिगत दर में वृद्धि करेगा। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा के अनुसार सभी सदस्यों ने मूल मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जतायी और कहा कि नोटबंदी के कारण महंगाई दर में जो कमी आयी है, वह अस्थायी होगी। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के ब्योरे को गुरुवार को सार्वजनिक किया गया।
कुल मिलाकर ब्योरे से यह पता चलता है कि समिति में सदस्यों की राय अलग-अलग बढ़ रही है। छह सदस्यों में दो नीतिगत दर में वृद्धि के पक्ष में दिखे। नोमुरा ने एक शोध रिपोर्ट में कहा, ‘‘बहुसंख्यक एमपीसी सदस्यों ने मुद्रास्फीति में वृद्धि के जोखिम की बात कही और अब 2018 में रेपो में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।’’ रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने छह अप्रैल को द्विमासिक मौद्रक नीति समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया।
नोमुरा का मानना है कि दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर नरम बनी रहेगी लेकिन 2017 की चौथी तिमाही 2018 की पहली छमाही में उत्पादन अंतर कम होने, ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी बढ़ने तथा प्रतिकुल तुलनात्मक आधार जैसे कारणों से यह 5.5 से 6 प्रतिशत हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इसीलिए हमने नीति के मामले में रूख में बदलाव किया है और अब 2018 में संचयी रूप से 0.50 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। इसमें 0.25 प्रतशत 2018 की दूसरी तिमाही तथा 0.25 प्रतिशत तीसरी तिमाही में होगी।’'