By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 04, 2019
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को आवास, व्यक्तिगत और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों को सभी नए फ्लोटिंग दर वाले ऋणों को रेपो दर सहित बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है। इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक अपेक्षाकृत तेजी से पहुंचने की उम्मीद है।
रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा कोष की सीमान्त लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) व्यवस्था में नीतिगत दरों में बदलाव को बैंकों की ऋण दरों तक पहुंचाना कई कारणों से संतोषजनक नहीं है।
इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को एक अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा। करीब एक दर्जन बैंक पहले ही अपनी ऋण दर को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ चुके हैं।