By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 28, 2018
जम्मू। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस बात पर बल दिया है कि अनुसंधान का दृष्टिकोण हमारी शिक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनना चाहिए और देश के संसाधन संस्थानों में शोध की गुणवत्ता राष्ट्र के विकास की गति तय करती है। उन्होंने कहा कि बच्चों और युवकों को प्रश्न पूछने और उसका उत्तर ढूंढने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। नायडू ने यहां राष्ट्रीय समवेत औषध संस्थान में वैज्ञानिकों से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘यदि हम अपने देश को ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना चाहते हैं जो ज्ञान की ताकत का इस्तेमाल लोगों की जिंदगी बदलने के लिए करना चाहता है तो हमें अनुसंधान पर और ध्यान देने की जरुरत है।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘ अनुसंधान राष्ट्र की विकास उड़ान के लिए प्रक्षेपण स्थल है। ’ लेकिन अनुसंधान अवश्य ही विकास के रुप में ढाला जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘अनुसंधान की गुणवत्ता किसी भी शैक्षणिक प्रणाली की गुणवत्ता का अहम संकेतक है ..... बच्चों और युवकों को प्रश्न पूछने और उसका उत्तर ढूंढने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। प्रासंगिक सवाल करना और उसका जवाब ढूंढना जीवन शैली होना चाहिए।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि मानव सभ्यता प्रश्न पूछने और जवाब ढूंढने के माध्यम से कई सहस्राब्दियों में विकसित हुई। उन्होंने कहा, ‘‘प्रश्न पूछने और उत्तर ढूंढने की यह प्रक्रिया ही अनुसंधान के केंद्र में है। अपने आसपास की दुनिया की गहरी समझ की जिज्ञासा नहीं होने से कोई मानव प्रगति संभव नहीं है। अनुसंधान एवं नवोन्मेष हमारी प्रगति करते हैं। वे उस दुनिया को बदल देते हैं जहां हम रहते हैं।’’