विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम की सीख देने वाले भारत जैसे आध्यत्म और शांति की धरा वाले देश में बढ़ती भौतिक विलासिता की चकाचौंध और सोशल मीडिया का जिन्दगी में बढ़ता दखल, पारिवारिक-सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रहा है। संबंधों में तकरार और फिर नृशंस तरीके से हत्या जैसे मामलों ने देश को झकझौर कर रख दिया है। मेरठ की मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर अपने पति सौरभ राजपुत की हत्या कर दी। ऐसे ही मुजफ्फरनगर की पिंकी ने अपने आशिक के लिए अपने पति अनुज को जहर पिलाकर मार दिया। रिश्तों में हत्या का ऐसा ही प्रकरण बेंगलुरू में देखने को मिला, वहां के हुलीमावु क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की हत्या करके उसकी बॉडी को सूटकेस में भर दिया। देश के अलग-अलग शहरों में हो रही ऐसी हत्याओं ने देश की जनता को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया। आखिर ये सिलसिला कहां जकर थमेगा? इन घटनाओं ने सोचने-समझने के लिए मजबूर कर दिया है कि आखिर यह देश किस दिशा में जा रहा है।
पिछले कुछ वक्त से देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें पति पत्नी का और पत्नी पति का कत्ल कर देती है। संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय की रिपोर्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में दुनिया भर में कुल 51 हजार 100 महिलाओं और लड़कियों का कत्ल हुआ है। इनमें से 60 फीसदी के करीब कत्ल महिलाओं या लड़कियों के अपने पार्टनर, पति या फैमिली मेंबर ने किया। एक रिपोर्ट कहती है कि देश भर में हर साल औसतन 225 लोगों को उनकी पत्नियां कत्ल कर देती हैं और लगभग 275 पत्नियां अपने पति के हाथों मारी जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर ग्यारवें मिनट में एक महिला या लड़की का कत्ल होता है। इनमें से औसतन हर रोज 140 महिलाओं या लड़कियों का कत्ल उनके घर के अंदर होता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और लंदन स्कूल ऑफ हाइजिन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड साउथ एफ्रिकन मेडिकल रिसर्च काउंसिल की रिपोर्ट कहती है वर्ष 2022 में दुनिया भर में कुल 48 हजार 800 महिलाओं और लड़कियों के कत्ल हुए थे और इनमें से भी 60 फीसदी से ज्यादा कत्ल पार्टनर, पति या फैमिली मेंबर ने ही किए थे। वर्ष 2022 में ऐसे अपराधों के मामलों में अफ्रीका पहले नंबर पर था और एशिया दूसरे नंबर पर। ऐसे अपराधों में अब 2023 में एशिया पहले नंबर पर है और अफ्रीका दूसरे नंबर पर है। आंकड़ा कहता है कि पार्टनर पति या रिलेशनशिप में दुनिया भर में जितने कत्ल होते हैं, उसकी 58 फीसदी शिकार महिलाएं या लड़कियां होती हैं। लेकिन चौंकाने वाला आंकड़ा ये भी है कि इसी पार्टनर और रिलेशनशिप की वजह से 42 फीसदी पुरुषों का भी कत्ल होता है। अर्थात यह अंतर ज्यादा नहीं है। ब्रिटिश मेडिकल जनरल लेनसेट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 60 फीसदी महिलाओं के कत्ल मौजूदा या फिर पूर्व पार्टनर की वजह से होती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में महिलाओं के कत्ल का सबसे ज्यादा खतरा उन्हीं के मौजूदा या पूर्व पार्टनर से ही होता है। जबकि पूर्व या मौजूदा महिला पार्टनर के हाथों पुरुषों के कत्ल का प्रतिशत सिर्फ साढ़े 6 फीसदी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक देश में हर साल कितने पति अपनी पत्नी का या पत्नी अपने पति का कत्ल करती हैं। एनसीआरबी के 2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इश्क और रिश्तों में लोग अब जान नहीं देते बल्कि जान लेते हैं। भारत में जिन वजहों से सबसे ज्यादा कत्ल होते हैं। उनमें लव अफेयर और शादी के बाद संबंधों के मामलों में होने वाला कत्ल तीसरे और चौथे नंबर पर आता है। देश में होने वाले हर 10 में से औसतन एक कत्ल किसी ना किसी आशिक-माशूक या पति-पत्नी के हाथ से ही होता है।
आंकडों के मुताबिक पूरे देश में कुल 28 हजार 522 कत्ल के मामले सामने आए। ये तमाम कत्ल 19 अलग अलग वजहों से हुए। मसलन, निजी दुश्मनी, सांप्रदायिक और धार्मिक वजह, राजनीतिक वजह, डायन प्रथा, जातिवाद, विवाद, या लूट-डकैती। परेशान करने वाली बात यह है कि इन 19 वजहों में से तीसरी और चौथी नंबर पर कत्ल की जो वजह बनी वो इश्क, धोखा, फरेब और शादी के बाद के संबंध थे। 28 हजार 522 कत्ल के कुल मामलों में से कुल 2 हजार 821 कत्ल इसी वजह से हुए। ऐसा नहीं है कि इश्क में पहले कत्ल नहीं हुआ करते थे। पहले भी आशिकों ने हाथों में खंजर या तमंचे उठाए हैं। लेकिन 2010 के बाद से पति-पत्नी, इश्क, बेवफाई और अवैध संबंध की वजह से होने वाले कत्ल की तादाद तेजी से बढ़ी।
पिछले 15 सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ पता चलता है कि जैसे जैसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा पति पत्नी के रिश्ते, शादी के बाद के संबंध और इश्क और खूनी होता चला गया। आंकड़ों के हिसाब से 2010 से 2014 के दरम्यान लव अफेयर और संबंधों की वजह से होने वाले कत्ल का प्रतिशत 7 से 8 फीसदी था। लेकिन 2015 से 2022 के दरम्यान ये बढ़कर 10 से 11 फीसदी हो गया। ये गिनती लगातार बढ़ती जा रही है। एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक 2022 में देशभर में खुदकुशी के कुल 17 हजार 924 केस दर्ज हुए थे। जिनमें से अकेले शादी से जुड़े मामलों में 8 हजार 204 पति या पत्नी ने खुदकुशी की। जबकि इश्क के चलते 7 हजार 692 प्रेमी जोड़ों में से किसी एक ने खुदकुशी कर ली। इसके अलावा अवैध संबंधों की वजह से भी 855 लोगों ने खुदकुशी की।
एनसीआरबी के अलावा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के एक आंकड़ें के मुताबिक 4 फीसदी शादीशुदा महिलाओं ने ये माना है कि वो अपने पति को शारिरिक तौर पर चोट पहुंचाती है। इसी तरह स्टडी ऑफ इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंस (आईआईपीएस) की एक रिपोर्ट के मुताबिक नौकरीपेशा महिलाएं जो पैसे कमाती हैं और मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं, अपने पति से ज्यादा झगड़ती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं की जैसे जैसे उम्र बढती जाती है वो अपने पति से ज्यादा झगडऩे लगती हैं। जबकि पति के मामले में ये उल्टा है। पति की उम्र जैसे जैस बढ़ती है वो बीवियों से झगड़ा कम करने लगते हैं। आईआईपीएस की ये रिपोर्ट ये भी कहती है कि एकल परिवार में पति पत्नी के बीच हिंसक लड़ाई ज्यादा होती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर एक हजार पति में से 29 पति अपनी पत्नियों की हिंसा का शिकार होते हैं। जबकि एकल परिवार में यही आंकड़ा पत्नियों के लिए हर एक हजार में 32 है। वैसे पति पत्नी से जुड़े दर्ज कत्ल के मामलों के एक आंकड़े के मुताबिक 2022 में देशभर में पत्नी के हाथों पति के 220 कत्ल के मामले सामने आए थे। इसी दौरान पति के हाथों पत्नी के कत्ल के 270 से ज्यादा मामले सामने आए। फिलहाल 2025 की तो अभी शुरुआत है। वर्ष 2024 का आंकड़ा एनसीआरबी ने अभी जारी नहीं किया है। लेकिन रिपोर्ट होने वाले आंकड़े डरावने हैं और इन्हीं आंकड़ों को सच करके जब मुस्कान, साहिल, प्रगति, राकेश रौशन ना जाने ऐसे कितने ही नाम और ऐसी कितनी ही तस्वीरें सामने आती हैं तो अहसास करा जाती हैं कि अब मुहब्बत उस अहसास का नाम नहीं रहा जो कभी हर दिल में रहा करता था। सवाल यही है कि आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। क्या तरक्की और स्वतंत्रता का यही पैमाना है? सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों का क्षरण का सिलसिला आखिर कहां जाकर थमेगा। इस बारे में गहन-चिंतन मनन की जरूरत है।
- योगेन्द्र योगी