By रेनू तिवारी | Oct 10, 2022
भानुरेखा गणेशन का जन्म 10 अक्टूबर 1954 में हुआ था। सिनेमा में उन्हें रेखा नाम से बेहतर जाना जाता है, एक भारतीय अभिनेत्री हैं जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में दिखाई देती हैं। भारतीय सिनेमा में बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त रेखा ने 180 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। रेखा एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और तीन फिल्मफेयर पुरस्कारों सहित कई पुरस्कारों की प्राप्तकर्ता हैं। हालांकि उनका करियर ग्राफ गिरावट के कुछ दौर से गुजरा है। रेखा ने कई बार खुद को फिर से बनाने के लिए ख्याति प्राप्त की है और उन्हें अपनी स्थिति को बनाए रखने की क्षमता के लिए श्रेय दिया गया है। 2010 में भारत सरकार ने उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया।
रेखा की निजी जिंदगी
शून्य से शिखर तक खुशनुमा सफर… लाखों दिलों की धड़कन, वो फिल्मों से दूर रहना चाहती थी… लेकिन फिल्मों ने ही उसे नयी पहचान दी… पहचान ऐसी कि सिनेमा की रंगीन दुनिया से निकलकर संसद तक का मुकाम हासिल कर लिया। अपनी बेहतरीन अदाकारी से 70 के दशक में लोगों के दिलों पर राज किया। तीन बार फिल्मफेयर की ट्रॉफी जीती और 55 साल की उम्र में बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड, आज 30 साल बाद भी उनके लिए लोगों में वही दीवानगी… संसद में भी एक झलक के लिए कायल लोग। इस शख्सियत पर ना कभी उम्र हावी हुई… ना कभी खूबसूरती ने इनका साथ छोड़ा.. ये कहानी हैं फिल्म एक्ट्रेस रेखा की।
रील लाइफ के साथ-साथ रेखा की रियल लाइफ में भी काफी उतार-चढ़ाव आये। कहते हैं जब रेखा का जन्म हुआ था, तब उनके माता-पिता की शादी नहीं हुई थी। रेखा के पिता ने कभी उनकी मां से शादी नहीं की। यहां तक कि वो रेखा को अपना खून भी नहीं मानते थे। इसी वजह से रेखा को अपने पिता से इतनी नफरत हुई कि वो उनके अंतिम संस्कार में भी नहीं गईं। मां पर कर्ज होने की वजह से उन्हें छोटी उम्र में ही काम करना पड़ा। पैसे की तंगी के कारण रेखा ने सी-ग्रेड फिल्में भी कीं। बॉलीवुड में रेखा को फिल्म 'सावन भादो' से पहला ब्रेक मिला। फिल्म की सक्सेस ने रेखा के सपनों को उड़ान दी। रेखा ने पूरा बचपन फिल्मों में काम कर बिताया।
कहते हैं कि रेखा तो एकदम सीधी होती है, लेकिन रेखाभानु गणेशन की निजी जिंदगी बहुत ही टेढ़ी-मेढ़ी रही। रेखा का कई लोगों के साथ नाम जुड़ा। लेकिन उन्होंने इन नजदीकियों को कभी नहीं स्वीकारा। लेकिन मीडिया में अटकलों का बाजार हमेशा रेखा के अफेयर्स की सुर्खियों से गर्म रहा।
फिल्मी करियर
अभिनेता पुष्पवल्ली और जेमिनी गणेशन की बेटी, रेखा ने तेलुगु फिल्मों इंति गुट्टू (1958) और रंगुला रत्नम (1966) में एक बाल अभिनेत्री के रूप में अपना करियर शुरू किया। मुख्य भूमिका के रूप में उनकी पहली फिल्म कन्नड़ फिल्म ऑपरेशन जैकपॉट नल्ली सी.आई.डी 999 (1969) के साथ हुई। सावन भादों (1970) के साथ उनकी हिंदी शुरुआत ने उन्हें एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित किया, लेकिन उनकी कई शुरुआती फिल्मों की सफलता के बावजूद, उन्हें अक्सर उनके रूप और वजन के लिए प्रेस में प्रतिबंधित कर दिया गया था। आलोचना से प्रेरित होकर, उसने अपनी उपस्थिति पर काम करना शुरू कर दिया और अपनी अभिनय तकनीक और हिंदी भाषा की कमान को सुधारने के लिए प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप एक अच्छी तरह से प्रचारित परिवर्तन हुआ। घर और मुकद्दर का सिकंदर में उनके प्रदर्शन के लिए 1978 में शुरुआती पहचान ने उनके करियर की सबसे सफल अवधि की शुरुआत की, और वह 1980 के दशक और 1990 के दशक की शुरुआत में हिंदी सिनेमा के प्रमुख सितारों में से एक थीं।
नवीन निश्चल
फिल्म 'सावन भादो' के हीरो नवीन निश्चल से रेखा के अफेयर की चर्चा रहीं। नवीन की तरफ रेखा आकर्षित हुईं, लेकिन नवीन को उनमें रूचि नहीं थी। उस समय रेखा अपने लुक पर ध्यान नहीं देती थीं, क्योंकि उन्हें फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं लगता था। नवीन के प्रति रेखा की दीवानगी एकतरफा थी इसलिए शूटिंग खत्म होते-होते दीवानगी भी खत्म हो गई।
विनोद मेहरा
विनोद मेहरा और रेखा के रोमांस के किस्सों ने फिल्मी गलियारों में खूब हलचल मचाई। कहा जाता है रेखा और विनोद मेहरा ने गुपचुप शादी भी की थी। हालांकि रेखा ने विनोद को सिर्फ 'अच्छा दोस्त' बताया। इस प्रेम कहानी में विनोद मेहरा के माता-पिता अड़चन बने। उन्होंने रेखा को बहू मानने से इनकार कर दिया था। खबरें थीं कि लगातार तनाव के चलते रेखा ने खुदकुशी करने की भी कोशिश की थी।
अमिताभ की एंट्री ने बदली जिंदगी
लेकिन फिर एक दिन एक शख्स की एंट्री ने मानो रेखा की जिंदगी बदल कर रख दी। अमिताभ के आने से रेखा की जिंदगी के मायने ही बदल गए। फिर शुरू हुई एक ऐसी प्रेम कहानी जो जमाने भर के लिए मिसाल बन गई। इस प्रेम कहानी में बेपनाह मोहब्बत थी, जुनून था, वफाई थी, बेवफाई थी, खुशियां थीं, दर्द था और बिछड़न था। अमिताभ-रेखा का इश्क कहने के लिए तो छुपा रहा लेकिन उनकी प्रेम कहानियां हवाओं में तैरती रहीं। ये मोहब्बत का वो सिलसिला था जिसका जादू गुजरता वक्त भी कम ना कर सका।
वो पहली मुलाकात..
अमिताभ-रेखा पहली बार फिल्म ‘दो अंजाने’ में नज़र आये थे। रेखा से मुलाकात के तीन साल पहले अमिताभ जया भादुड़ी से शादी कर चुके थे और बॉलीवुड में स्टार बन चुके थे। वहीं रेखा को कोई अभिनेत्री के तौर पर गंभीरता से नहीं लेता था। फिल्म के सेट पर अमिताभ से मुलाकात के बाद रेखा का कायाकल्प हआ। अमिताभ का ऐसा जादू हुआ कि रेखा अपने काम को पहले से ज्यादा संजीदगी से लेने लगीं। फिल्म ‘दो अंजाने’ हिट होते ही बॉलीवुड को एक खूबसूरत जोड़ी मिल चुकी थी।
बेपनाह इश्क की शुरुआत
फिल्मों की खूबसूरत जोड़ी की केमिस्ट्री अब रियल लाइफ में भी एंट्री मार चुकी थी। फिल्म ‘गंगा की सौगंध’ के सेट पर अमिताभ ने रेखा को परेशान करने वाले एक शख्स की पिटाई तक कर दी। जिससे दोनों के अफेयर की खबरें जया तक पहुंच गयीं। रेखा खुद अपने करीबियों से अपने इश्क और रिस्क का ज़िक्र करने लगी। लेकिन कोई था जो इस लव स्टोरी को नकार रहा था वो थे अमिताभ बच्चन। रेखा चाहती थी कि अमिताभ इस रिश्ते पर बात करें, लेकिन वो कभी खुलकर नहीं बोले। एक बार तो रेखा पार्टी में सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर पहुंच गईं। तभी दबी ज़ुबान से आवाज़ उठने लगी कि कहीं रेखा और अमिताभ ने शादी तो नहीं कर ली।
जब रेखा की मोहब्बत दूर हुई
रेखा और अमिताभ की बढ़ती नजदीकियों की वजह से जया बेहद परेशान रहती थीं। एक दिन अमिताभ की गैरमौजूदगी में जया ने रेखा को डिनर के लिए बुलाया। डिनर के बाद जया ने रेखा को कहा कि वह आखिरी सांस तक अमिताभ का साथ नहीं छोड़ेंगी। जिसके बाद रेखा को एहसास हुआ कि उनकी और अमिताभ की जोड़ी कभी नहीं बन सकती।
वो आखिरी मुलाकात का ‘सिलसिला’
फिल्म ‘सिलसिला’ में अमिताभ-जया-रेखा ने एकसाथ स्क्रीन शेयर किया। अमिताभ ने यश चोपड़ा को साफ कहा कि जब तक जया रेखा के साथ काम करने की इजाजत नहीं देगी तब तक मैं फिल्म नहीं करूंगा। फिर यश चोपड़ा ने जया को मनाने की पहल की। जिसका नतीजा हुआ कि जया ने फिल्म में खुद के भी काम करने की शर्त रख डाली। फिल्म खत्म होने के साथ ही अमिताभ-रेखा भी हमेशा के लिए जुदा हो गए।
जब फिल्म ‘कुली' के सेट पर अमिताभ का एक्सीडेंट हुआ, तब जया बच्चन ने दिन-रात अमिताभ की सेवा की। चोट से ठीक होने को अमिताभ ने पुर्नजन्म माना और रेखा को भुलाकर जया के साथ फिर से खुशनुमा सफर शुरू करने का फैसला किया।
आज भी रेखा और अमिताभ किसी अवॉर्ड फंक्शन में एक-दूसरे को देख रास्ता बदल लेते हैं। लेकिन 2012 में जब अमिताभ को फिल्मफेयर में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला तो रेखा खुद को रोक नहीं पाईं। रेखा उठकर जया के पास गईं और उन्हें गले लगाते हुए अमिताभ की जीत की बधाई दी।