By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 01, 2023
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान का अपमान करने का आरोप लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यकर्ता की शिकायत खारिज करते हुए यहां की एक अदालत ने कहा कि राष्ट्रगान का पाठ करना, इसे गाने के समान नहीं है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (मझगांव अदालत) एस. बी. काले ने सोमवार को शिकायत खारिज करते हुए कहा कि इसके अलावा, कार्यक्रम के वीडियो में बनर्जी को राष्ट्रगान के गाने के दौरान अचानक निकलते हुए नहीं देखा गया, जैसा कि आरोप लगाया गया है। विस्तृत आदेश बुधवार को उपलब्ध हुआ। अदालत ने कहा कि राष्ट्रगान ‘गाना और कुछ शब्द या पंक्तियों को पढ़ना दो अलग-अलग चीजें हैं और इनकी एक-दूसरे से बराबरी नहीं की जा सकती, अन्यथा, इसे दर्शकों को समझाने वाले किसी शिक्षक या वक्ता को राष्ट्रगान के अपमान के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
इसने कहा कि जब कानून बनाया गया था तो विधायिका का इरादा ऐसे व्यक्ति पर मुकदमा चलाना नहीं था। भाजपा कार्यकर्ता विवेकानंद गुप्ता ने शिकायत में यह आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रेट की अदालत का रुख किया था कि बनर्जी दिसंबर 2021 में अपने मुंबई दौरे के दौरान एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान बजने पर खड़ी नहीं हुई थीं। उन्होंने बनर्जी पर राष्ट्रगान का अपमान करने का आरोप लगाया था और अदालत से अनुरोध किया था कि पुलिस को उनके खिलाफ ‘राष्ट्रीय गौरव के अपमान की रोकथाम’ अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। अदालत ने अपने आदेश में कहा, वीडियो (शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत) के 17 से 19 सेकंड के हिस्से को देखने के बाद, मैंने पाया कि प्रासंगिक समय पर आरोपी राष्ट्रगान के कुछ शब्द पढ़ती दिखाई दे रही हैं।
इसमें कहा गया है कि वीडियो में यह नहीं दिखाया गया है कि बनर्जी राष्ट्रगान गा रही थीं या उन्होंने इसे गाने की कोशिश की। इसमें कहा गया है कि इसके अलावा, आरोपी अचानक राष्ट्रगान गाना बंद करते या कार्यक्रम स्थल छोड़ते हुए नहीं देखी गईं। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने केवल 17 से 19 सेकेंड का वीडियो फुटेज पेश किया और यह दिखाने के लिए कोई सामग्री पेश नहीं की कि बनर्जी ने किस संदर्भ में राष्ट्रगान की पंक्तियां पढ़ीं। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा घटना की विस्तृत वीडियो फुटेज हासिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।