By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 07, 2017
मुंबई। रिजर्व बैंक ने आम धारणा के मुताबिक प्रमुख नीतिगत दर में आज कोई बदलाव नहीं किया लेकिन राज्यों के बीच कृषि ऋण माफी को लेकर जारी होड़ को देखते हुये राजकोषीय स्थिति बिगड़ने को लेकर चिंता जरूर जतायी। केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया। एसएलआर के तहत बैंकों को निर्धारित हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है। शीर्ष बैंक के इस कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिये अधिक नकदी बचेगी।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की यहां हुई पांचवीं बैठक में रेपो दर को 6.25 प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया। रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को अल्पावधि कर्ज देता जबकि रिवर्स रेपो के अंतर्गत आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी को लेता है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, ‘‘एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति के तटस्थ रूख के अनुरूप है। साथ ही यह कदम वृद्धि को समर्थन देने तथा मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य के मुताबिक है।’'
समीक्षा में कहा गया है, ‘‘अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति निजी निवेश को पटरी पर लाने, बैंकिंग क्षेत्र की बेहतर स्थिति को बहाल करने तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने की जरूरत को रेखांकित करती है। मौद्रिक नीति तभी प्रभावी भूमिका निभा सकती है जब ये चीजें दुरूस्त हों।’’ केंद्रीय बैंक ने हालांकि, कृषि ऋण माफी के कारण राजकोषीय स्थिति में गिरावट आने की आशंका को लेकर चिंता जतायी। इसमें कहा गया है, ‘‘बड़े पैमाने पर कृषि ऋण माफी की घोषणाओं से राजकोषीय स्थिति बिगड़ने और फलस्वरूप मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बढ़ा है।’’
रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया। मौद्रिक नीति समिति की यह पांचवीं बैठक थी जिसमें रेपो दर को 6.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया। सीमांत स्थायी सुविधा और बैंक दर 6.50 प्रतिशत पर पूर्ववत रही। सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 20.5 से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया।