By टीम प्रभासाक्षी | Aug 24, 2021
ई-कॉमर्स साइटों पर खरीदारी और डिजिटल भुगतान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने नए दिशानिर्देश दिए हैं। आरबीआई के सख्त रुख के पीछे देश में होने वाले रैंसमवेयर हमले एक बड़ा कारण है, जहां इंटरनेट के लिए खुले कंप्यूटर नेटवर्क को मैलवेयर द्वारा हाईजैक कर लिया गया है।
पेमेंट गेटवे और पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए नए दिशानिर्देश
पेमेंट गेटवे और पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए नए दिशानिर्देशों के संदर्भ में ऑनलाइन व्यापारी क्रेडिट कार्ड डेटा को स्टोर नहीं कर पाएंगे, जिससे ग्राहकों को अपने 16 अंकीय नंबर मैन्युअल रूप से हर बार खरीदारी करने पर डालना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह किसी भी ऑनलाइन मर्चेंट को डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी स्टोर करने की इजाजत नहीं देगा, चाहे उनका सिस्टम कितना भी सुरक्षित क्यों न हो।
ऑनलाइन व्यवसाय पहले से ही आरबीआई की गाइडलाइंस को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं, जो सितंबर 2021 से लागू होगा। आरबीआई के अनुसार ई-कॉमर्स साइटों को कार्ड नेटवर्क के साथ गठजोड़ करना होगा जो उन्हें प्रत्येक कार्ड नंबर से जुड़े 'टोकन' जारी करेगा। इन टोकन का उपयोग कोई और नहीं कर सकता।
एक बैंकर के मुताबिक इससे भले ही शॉर्ट टर्म में दिक्कत हो, लेकिन इससे इंडस्ट्री को फायदा होगा। जब आरबीआई ने टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को जारी किया तो धोखाधड़ी कम हुई, इसे विश्व स्तर पर अपनाया गया था। व्यापारी कार्ड की जानकारी रखते हैं, इसका कारण यह है कि यह लेनदेन में स्टेप्स कम करता है। हालांकि, बैंकरों का कहना है कि यूपीआई पहले से ही एक 'टोकन' की तरह है, क्योंकि कार्ड और ग्राहक विवरण ईमेल आईडीज से जुड़े होते हैं।