मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को बैंकों को किसी एक गैर - बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के लिए कर्ज की सीमा को उसके (बैंक) उपलब्ध पूंजीगत आधार के मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया। इस कदम से संकट में फंसे एनबीएफसी क्षेत्र को अधिक ऋण मिलने में मदद मिलेगी और उनकी नकदी स्थिति में सुधार होगा। मौजूदा बड़े कर्ज व्यवस्था के अनुसार , बैंक किसी एक एनबीएफसी कंपनी को उसके उपलब्ध पात्र पूंजी आधार के 15 प्रतिशत तक कर्ज दे सकता है जबकि सामान्य एकल पक्ष के लिए यह सीमा 20 प्रतिशत है , जिसे असाधारण परिस्थतियों में बैंक के निदेशक मंडल द्वारा बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
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केंद्रीय बैंक ने परिपत्र में कहा कि किसी एक एनबीएफसी (गोल्ड लोन कंपनियों को छोड़कर) के लिए बैंक की कर्ज सीमा को बढ़ाकर बैंक के पात्र पूंजी आधार के 20 प्रतिशत तक सीमित करने का फैसला किया गया है। अर्थात् बैंक अपने पूंजी आधार के 20 प्रतिशत तक का कर्ज किसी एक एनबीएफसी को दे सकते हैं। वहीं , दूसरी ओर रिजर्व बैंक ने उपभोक्ता कर्ज के लिए जोखिम भारांश आवश्यकता को घटाकर 100 प्रतिशत किया है। इससे इस तरह के कर्ज की लागत कम होगी। वर्तमान में इस तरह के कर्ज के लिए जोखिम भारांश 125 प्रतिशत है। यह छूट क्रेडिट कार्ड पर लागू नहीं होगी।