भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने महंगाई के मोर्चे पर सहूलियत को देखते हुए बुधवार को अपनी नीतिगत ब्याज दर ‘रेपो’ 0.25 प्रतिशत घटा कर 6.25 प्रतिशत कर दी। इससे धन सस्ता पड़ेगा और आने वाले दिनों में बैंक घर तथा अन्य ऋणों पर मासिक किस्त घटा सकते हैं। केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के लगातार नीचे बने रहने के मद्देनजर बाजार में कर्ज सस्ता करने वाला यह कदम उठाया है। रेपो दर वह दर होती है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन के निए नकद धन उधार देता है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के बारे में अपना दृष्टिकोण भी नरम कर ‘तटस्थ‘ प्रकार का कर दिया है।
अभी तक उसने मुद्रास्फीति के जोखिम के मद्देनजर इसे ‘ नपी-तुली कठोरता’ वाला कर रखा था। नए गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की हुई पहली बैठक में छह में से चार सदस्यों ने रेपो में कमी किए जाने का समर्थन किया। हालांकि, रिजर्व बैंक के रुख को नरम करने के मामले में सभी सदस्य एक राय रहे। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के बारे में अपने अनुमान को भी कम किया है। उसका मानना है कि मार्च 2019 की तिमाही में यह 2.8 प्रतिशत रहेगी। वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये भी मुद्रास्फीति अनुमान 3.2- 3.4 प्रतिशत रहने और तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।